कानपुर ब्यूरो: चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। वहीं, 2 जुलाई की रात 12 बजे बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम के साथ किया हुआ था इस बात का सच सामने आ गया है। दरअसल, बिठूर थाने के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उस रात पुलिस एनकाउंटर के इरादे से नहीं गई थी और न ही उनके पास पर्याप्त मात्रा में असलहे थे। लेकिन विकास दुबे और उसका गैंग पूरी तैयारी में था। न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक, इस शूटआउट में घायल हुए बिठूर थाने के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 2 जुलाई की रात करीब 12 बजे दबिश देने की तैयारी थी। उनके साथ उनकी टीम थी, साथ ही चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी मय फोर्स व एक अन्य थाने की फोर्स भी थी। इसके अलावा सीओ भी थे। सभी लोग करीब साढ़े 12 बजे घर से करीब 22 मीटर की दूरी पर गाड़ी से उतरकर घर की तरफ बढ़े। रास्ते में जेसीबी को इस तरह से खड़ा किया गया था कि कोई गाड़ी न निकल सके। पैदल भी एक बार में एक ही आदमी निकल सके।
एसओ कौशलेंद्र ने मीडिया से बात चीत में बताया कि विकास दुबे के घर के आसपास ठीक से लाइट नहीं जल रही थी, जिसके कारण हम उन्हें नहीं देख सके। जबकि वे हमें ठीक से देख रहे थे। जैसे ही मैं और मेरे साथ सिपाही अजय सेंगर जेसीबी क्रॉस कर आगे बढ़े, अचानक गोली चलने लगी। सिपाही सेंगर ने बताया कि उसके पेट में गोली लगी है। मैं कवर फायर देते हुए उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगा। इस दौरान मैंने चार से पांच राउंड गोली चलाई होगी। एसओ ने बताया कि पुलिस टीम एनकाउंटर की तैयारी कर नहीं गई थी, पर्याप्त असलहे भी पास में नहीं थे। हालांकि, विकास दुबे पूरी तैयारी में था तीन थानों की पुलिस टीम जब उसके घर से 200 मीटर की दूरी पर अपनी गाड़ी खड़ी कर पैदल आगे बढ़ी तो जेसीबी क्रॉस करते ही तीन तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। अचानक हुई इस फायरिंग में पुलिसवालों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। अनुमान के मुताबिक करीब 15 लोग गोली चला रहे थे। जिस रफ़्तार से गोली चल रही थी, उससे तो यही लगता है कि उनके पास सेमी ऑटोमेटिक वेपन्स थे, क्योंकि सिंगल शॉट वेपन्स से इस तरह गोली नहीं चल सकती। अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था, इसलिए यह बताना मुश्किल है कि गोली किससे चल रही थी।