प्रशांत शर्मा, रायबरेली: रमजान में बड़ों के साथ छोटे बच्चे भी रोजा रखकर खुदा की इबादत में पीछे नहीं है। मासूम रोजा रखकर पांच वक्त का नमाज अदा कर खुदा का सजदा कर रहे हैं। सेहरी और इफ्तार भी समय पर कर रहे हैं। जिले में सैकड़ों ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने पहली बार रोजा रख नियम का पालन भी कर रहे हैं।
ये भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। इनके अभिभावक कहते हैं कि रहमत और बरकत का महीना माह-ए- रमजान घर के लाेगों में इबादत के लिए जुनून पैदा करता है, इसलिए बच्चे भी इबादत में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार 610 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद साहब लेलतुल कद्र के मौक़े पर पाक कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह में लोग इस महीने में इबादत बेशुमार करते हैं। माहे रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज होता है। रोजा रखने से पहले रोजेदार शहरी करते हैं। शहरी करना सुन्नत है, तो वहीं दिन भर रोजा रखने के बाद शाम के समय मगरिब के दरमियान रोजेदार इफ्तार करते हैं।
छोटे-छोटे मासूम भले ही रोजा नहीं रखते हैं, लेकिन अपने घरवालों को देखकर इबादत और तिलावत में पीछे नहीं रहते है। नन्हे मुन्ने बच्चे कोरोना जैसी महामारी को खत्म होने के लिए दुआओं के लिए हाथ उठा रहे है। जहां लोग माहे रमजान में पूरे महीने नमाज़ के दौरान इबादत और दुआओं के लिये हाथ उठा रहे है, वहीं मगरिब के दरमियान इफ्तार के वक्त सभी लोग घरों में इफ्तार से पहले अल्लाह रब्बुल आलमीन से देश के खातिर अमन चैन औऱ खुशहाली के लिए दुआ भी मांग रहे हैं।