नई दिल्ली: देश में कोरोना संट की वजह से अन्य गंभीर बीमारियों से जूझने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। इसी संकट के समय एक 63 साल के शख्स ने तीन लोगों को जिंदगी दे दी। इस समय ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी पोस्टपोन कर दिया गया है। हाल ही में नैशनल ऑर्गन ऐंड ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) ने मैक्स साकेत और ILBS को अंग प्रत्यारोपण की अनुमति दी। दरअसल तीन ऐसे मरीजों के लिए अनुरोध किया गया था जो कि समय पर अंग न मिलने की वजह से मौत से जूझ रहे थे।
मैक्स अस्पताल में 18 अप्रैल को 63 साल के शख्स को ब्रेन हैमरेज के बाद भर्ती कराया गया था। जीवन बचने की उम्मीद न देखकर शख्स के परिवार ने अंग दान करने का फैसला किया जिससे किसी और को जीवन मिल सके। अस्पताल ने इसकी अनुमति लेने के लिए आवेदन किया।
अंग दान करने वाले मृतक की भी दो बार कोरोना जांच की और जब स्पष्ट हो गया कि उनमें कोरोना संक्रमण नहीं है तो अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू की गई। उनकी दोनों किडनी और लिवर निकालकर तीन मरीजों को लगाया गया। उम्र की वजह से मृतक का हार्ट और फेफड़ा फिट नहीं था।
शख्स की किडनी निशा (37 साल) और पुनीता (55) साल के शरीर में प्रत्यारोपित की गई। दोनों की किडनी फेल्योर की आखिरी स्टेज पर थीं। वहीं लिवर 13 साल की किशोरी को दिया गया। वह ज्यादा समय तक सर्वाइव करने की स्थिति में नहीं थी। NOTTO के डायरेक्टर डॉ. वासंती रमेश ने बताया कि उसके माता-पिता भी स्वास्थ्य कारणों से लिवर का हिस्सा दान करने में सक्षण नहीं थे।
अनुमति मिलने के अलावा दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी कि किस तरह से सुरक्षित ढंग से यह सर्जरी की जाए। मैक्स और ILBS के डॉक्टरों ने सर्जरी के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती और पीपीई किट का भी इस्तेमाल किया। मैक्स अस्पताल में संबंधित विभाग के चेयरमैन अनंत कुमार ने कहा कि सर्जरी के दौरान कई और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। जैसे कि लंबी बीमारी की वजह से एक मरीज आर्टरीज बहुत सख्त हो गई थीं। इसलिए डोनर की आर्टरी से जोड़ना बहुत कठिन था।