Vaibhav Singh, UP Bureau: उत्तर प्रदेश के हरदोई में गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने अपनी निधि से दी गई 25 लाख रुपये की धनराशि वापस मांग ली है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाला केंद्रीय औषधि भंडार के जरिए होने वाली खरीद में अनियमितता उजागर होने के बाद विधायक ने कोरोना संकट से निपटने के लिए अपनी निधि से दिए गए 25 लाख रुपये वापस मांगे हैं।
भाजपा के गोपामऊ विधानसभा से विधायक श्याम प्रकाश ने खरीद में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की आशंका जताते हुए खर्च का हिसाब मांगा था। हिसाब न मिलने के बाद विधायक ने रुपये वापस मांगे हैं। इस संबंध में उन्होंने गोपनीय पत्र मुख्य विकास अधिकारी को भेजा है। बताया जाता है कि कोरोना का संकट सामने आने के बाद जनपद में सबसे पहले गोपामऊ से भाजपा विधायक श्यामप्रकाश ने अपनी विकास निधि से 25 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। विधायक द्वारा उक्त निधि संबंधित पत्र मुख्य विकास अधिकारी को भेजते हुए दिए गए बजट का इस्तेमाल उनके क्षेत्र की जनता को कोरोना से बचाव के लिए इंतजामों पर खर्च करने की बात कही गई थी।
शासनादेश के मुताबिक विधायक निधि से दिए गए 25 लाख रुपयों का कोरोना से निपटने के लिए विभिन्न उपकरण व सामग्री खरीदने के संबंध में संशोधित पत्र विधायक ने भेजा था। सीडीओ ने विधायक का पत्र ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक राजेंद्र श्रीवास को भेज दिया था। निधि से आवंटित किए गए 25 लाख रुपये में से 60 फीसदी धन पहली किस्त के रूप में खरीद के लिए कार्यदायी संस्था माने गए सीएमओ को भेज दी गई थी। इसी दौरान एक अखबार ने स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय औषधि भंडार से हुई खरीद में घपले का मामला उजागर किया तो विधायक सख्त हो गए।
भाजपा विधायक श्यामप्रकाश ने सीडीओ निधि गुप्ता वत्स को पत्र भेजकर लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग हरदोई में चिकित्सा सामग्री खरीदने में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। विधायक निधि की धनराशि से भी सामग्री खरीद में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की बात चल रही है। इसके चलते पूर्व में दी गई 24 लाख 99 हजार 940 रुपये की राशि तत्काल वापस उनकी निधि के खाते में भेजी जाए ताकि इसका इस्तेमाल जनहित व अन्य कार्यों पर खर्च किया जा सके।
गोपामऊ भाजपा विधायक श्यामप्रकाश ने 16 अप्रैल को मुख्य विकास अधिकारी को भेजे पत्र में कहा था कि उन्होंने अपनी निधि से कोरोना संकट से निपटने के लिए 24 लाख 99 हजार 940 रुपये दिए हैं। उन्होंने भेजे गए पत्र के माध्यम से सीडीओ से पूछा था कि बताया जाए कि इस धन से अब तक स्वास्थ्य विभाग ने क्या-क्या खरीदा और कहां-कहां उसका उपयोग हुआ। शनिवार तक भी इसका जवाब विधायक को नहीं मिला तो विधायक की खरीद में खेल की आशंका और भी अधिक गहराती गई।
विधायक श्याम प्रकाश का पत्र जारी होने के बाद ग्राम्य विकास अभिकरण के अधिकारी और कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं। कारण यह कि विधायक निधि से 25 लाख रुपये अवमुक्त करने संबंधी पत्र पर इसका 60 फीसदी धन पहली किस्त के रूप में स्वास्थ्य विभाग को दिया जा चुका है। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी और कर्मचारी कह रहे हैं कि अब उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लिया जाएगा और तभी आगे कोई कार्रवाई की जा सकती है।
केंद्रीय औषधि भंडार ने बिना टेंडर के ही फरवरी में नौ लाख रुपये से अधिक के बैंडेज खरीद लिए थे। पूरे मामले की शिकायत भाजपा जिला उपाध्यक्ष संदीप सिंह ने डीएम से की थी। जांच में खरीद की प्रक्रिया गलत होने की पुष्टि हुई थी। इससे पहले छह दिसंबर 2019 को भी डीएम ने नई पहल किट की खरीद में गड़बड़ी को लेकर केंद्रीय औषधि भंडार के जिम्मेदारों से जवाब-तलब किया था। हालांकि यह मामला बाद में ठंडे बस्ते में चला गया।