महाराष्ट्र के वाशिम जिले में एक गांव है, कारखेड़ा. अक्सर गर्मी के दिनों में गांव वालों को पानी के लिए भारी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. सूखे के वक्त तो गांव में 10 से 15 दिनों में पानी का एक टैंकर पहुंचता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के दौरान एक दम्पति के हौसलों ने इस समस्या पर फतह हासिल कर लिया.
दरअसल, गजानन पेशे से राज मिस्त्री हैं. लॉकडाउन के दौरान उन्हें कहीं काम नहीं मिल रहा. इस दौरान उन्होंने घर पर बैठे रहने से बेहतर सोचा कि गांव की प्यास बुझाने के लिए क्यूं न कुंआ खोदा जाए. फिर क्या… अपनी पत्नी पुष्पा (पेशे से मजदूर) के साथ मिलकर कुंआ खोदने की ठान ली. जब ये बात गांववालों और रिश्तेदारों को मालूम चला तो उन्होंने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया.
लेकिन इन्होंने भी दसरथ मांझी की तरह मजाक को अनसुना किया और कुंआ खोदने में जुट गए. लगातार मशक्कत के बाद जब 21वें दिन 25 फीट तक की खुदाई करने पर पानी मिला, तो इनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सबसे बड़ी बात गजानन और उनकी पत्नी ने घर में मौजूद औजारों से ही कुंए की खुदाई की.
खुदाई के वक्त जब गांव वाले इनका मजाक उड़ा रहे थे, तब इनके दो मासूम बच्चे हौसला बढ़ा रहे थे. अब गजानन और पुष्पा की मेहनत से गांववालों को गर्मी के दिनों में किसी टैंकर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
लॉकडाउन के दौरान नकारात्मक खबरों के बीच कुछ सकारात्मक खबरें सुकून देती हैं. कुछ रोज पहले राजस्थान के किसी स्कूल में क्वारन्टीन किए गए मजदूरों ने मुफ्त में पूरे स्कूल की पोताई कर दी थी.