भोपाल: ‘आप जानती हैं कि पिछले एक साल से मैं इस चीज से बच रहा था लेकिन अब मैं कांग्रेस में और नहीं रह सकता।’ ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे की एक लाइन यह बताती है कि वह काफी समय से बेचैन थे। 18 साल कांग्रेस में रहे और लगातार चार बार सांसद बने सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफे में यह भी कहा है कि वह अपने लोगों, कार्यकर्ताओं और राज्य के लिए कांग्रेस में रहकर काम नहीं कर पा रहे हैं।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सीएम ना बन पाने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया मान गए थे। उन्हें उम्मीद थी कि वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे लेकिन उन्हें यह पद भी नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया हार गए। पिछले एक साल से हाशिए पर चल रहे सिंधिया ने आखिरकार अपना मन बना ही लिया। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफे की चिट्ठी 9 मार्च यानी एक दिन पहले ही लिखी थी। अब यह चिट्ठी सार्वजनिक हुई है। इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश का पूरा राजनीतिक घटनाक्रम ज्योतिरादित्य सिंधिया के इशारे पर ही हो रहा है। सिंधिया ने चिट्टी में लिखा है कि उनके लिए कांग्रेस में बने रहना मुश्किल हो रहा था और पिछले साल से ही वह इसे टाल रहे थे लेकिन अब वक्त आ गया है।
‘कांग्रेस में रहकर काम करना मुश्किल’
अपनी तकलीफ बताते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया लिखते हैं, ‘पिछले 18 साल से मैं कांग्रेस पार्टी का सदस्य रहा हूं लेकिन अब आगे बढ़ने का समय आ गया है। मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। आप जानती हैं कि पिछले साल से ही मैं इससे बच रहा था। शुरुआत से ही मेरा उद्देश्य देश और मेरे राज्य के लोगों की सेवा करना रहा है। मेरा मानना है कि इस पार्टी में रहते हुए अब मैं यह नहीं कर सकता हूं।’ सिंधिया आगे लिखते हैं, ‘मेरे लोगों और कार्यकर्ताओ की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए मेरा मानना है कि अब मुझे आगे बढ़कर नई शुरुआत करनी चाहिए। मैं आपका और पार्टी के साथियों को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मुझे देश की सेवा करने का प्लैटफॉर्म दिया।’
‘महाराज’ के नाम से चर्चित सिंधिया खुले तौर पर कमलनाथ सरकार को घेर चुके हैं। सिंधिया के इशारे पर ही कई विधायक और मंत्री भी कमलनाथ सरकार पर उंगली उठाते रहते थे। जब सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की चुनौती दी तो कमलनाथ ने दो टूक कहा दिया कि ‘तो उतर जाएं।’
2018 के अलावा 2013 में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद को सीएम कैंडिजेट के रूप में पेश करने की कोशिश की। हर बार किसी ना किसी बड़े नेता ने उनका पत्ता काट दिया। 2018 में तो वह सीएम पद के लिए भी अड़ गए थे लेकिन बाद में राहुल गांधी ने उन्हें मना लिया। कमलनाथ ने सीएम बनते ही सिंधिया को किनारे लगा दिया। इस उपेक्षा के चलते ही सिंधिया ने खुलेआम नाराजगी जताई लेकिन कमलनाथ टस से मस ना हुए।