उत्तर प्रदेश

ग्राउंड रिपोर्ट: ओडीएफ की सफलता के शोर में रायबरेली के डलमऊ की हकीकत

रायबरेली: मोदी सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं। सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में ओडीएफ के लिए मंत्रालय ने जोर शोर से प्रचार प्रसार किया है। ओडीएफ का मतलब है खुले से शौच मुक्त, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो अक्टूबर 2014 को राजघाट से की थी। इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य राष्ट्रपिता के 150वीं पुण्यतिथि यानी 2 अक्टूबर 2019 तक का रखा गया है। आंकड़ो के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 2551 ग्राम पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं पर हकीकत उससे ज़ुदा है।

आज बात रायबरेली जिले के डलमऊ की जिसमें सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आधा दर्जन गांव खुले में शौच मुक्त हो गए हैं। कागज के बाजीगरों की कहानी पर उच्चाधिकारी भी शौचालय निर्माण का कार्य देख रहे खंड प्रेरकों व अन्य ब्लाक कर्मियों की खूब पीठ थपथपा रहे हैं। मगर हकीकत में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। आज भी लोग खुले में ही शौच करने को मजबूर हैं। शौचालय बने लेकिन उपयोग नहीं हो रहा है। ग्रामीण आज भी खुले में शौच जा रहे हैं लेकिन सब कुछ जानते हुए अधिकारी अंजान बने हुए हैं।

एक नजर जमीनी हकीकत पर

डलमऊ विकास खंड क्षेत्र का सेमौरी गांव सरकारी अभिलेखों में ओडीएफ गांव के सम्मान से नवाजा जा चुका है। सरकारी अभिलेखों में सेमौरी गांव के सभी ग्रामीण शौचालय का उपयोग कर रहे हैं लेकिन आज भी सुबह होते ही ग्रामीणों को खुले में शौच करते हुए सहज ही देखा जा सकता है। निगरानी समितियों का गठन किया गया कि खुले में शौच जाने वाले ग्रमीणों को रोक कर उन्हें खुले में शौच से होने वाली बीमारियों की जानकारी दें पर सब कुछ बस फाइलों में हो रहा है। यह समितियां सिर्फ फाइलों पर ही ग्रामीणों को जागरुक कर रही हैं। एडीओ पंचायत डलमऊ श्रवण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सेमौरी गांव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त है।

सेमौरी गांव पर एक नजर

सैमौरी में कुल परिवारों 192 परिवार रहते हैं और गांव की कुल जनसंख्या 1044 दर्ज है। इस गांव में स्वच्छ भारत के तहत 206 शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 206 शौचालय बने भी हैं और इस्तेमाल भी हो रहे हैं लेकिन हकीकत दूसरी है।

कैसे होता है एक गाँव ओडीएफ

एक ग्राम पंचायत या एक गाँव तब तक खुले में शौच से मुक्त नहीं मानी जाती जब तक गाँव का एक-एक व्यक्ति शौचालय का प्रयोग नहीं करने लगता हो। अगर उस गाँव का 6 महीने का बच्चा भी शौचालय का प्रयोग नहीं कर रहा है तो गाँव खुले में शौच से मुक्त नहीं माना जायेगा। किसी भी ग्राम पंचायत का शत प्रतिशत शौचालय का प्रयोग उस ग्राम पंचायत से मुक्त माना जायेगा।

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