कोयंबटूर (तमिलनाडु) की बात है। एक चाय स्टॉल पर काम करने वाले सेल्वाराज ने मिसाल खड़ी कर दी। उनके दुख से आप दुखी भी होंगे, लेकिन आपको एक सीख भी मिलेगी। उनके दो बच्चे थे। दोनों की मौत दीवार ढहने से हो गई। उन्होंने अपने मृत बच्चों की आंखें दान करने का फैसला किया।
तमिलनाडु में बीते दिनों भारी बारिश के कारण कई इलाकों में हुई घटनाओं में 25 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 17 लोगों की मौत कोयंबटूर के पास एक दीवार ढह जाने से हुई। जिसमें यह दो बच्चे भी शामिल थे। रामनाथन 15 वर्ष के थे, जबकि निवेधा 18 साल की थीं। जिस दिन यह हादसा हुआ दोनों अपनी चाची के घर सो रहे थे।
सेल्वाराज ने कहा, ‘उनका शरीर तो मिट्टी में मिल जाएगा या उसे जला दिया जाएगा…अगर उनकी आंखें दो लोगों के काम आ सकती हैं…तो क्या यह अच्छा काम नहीं है?’ कुछ वर्षों पहले सेल्वाराज की वाइफ लक्ष्मी का भी निधन हो गया था। वो अकेले ही अपने बच्चों का ध्यान रखते थे। बेटी निवेधा बीकॉम की पढ़ाई कर रही थी और रामनाथन 10वीं में पढ़ता था।