शिमला: ठंडी हवाओं और शानदार मौसम के लिए जाना जाने वाला शिमला चर्चा में आ गया है। चर्चा की वजह बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। पूरा का पूरा शिमला पानी की जबरदस्त कमी से जूझ रहा है, अस्पताल में भी पानी किल्लत है। फिलहाल हिमाचल का शिमला, केपटाउन बना हुआ है। शिमला में वाटर इमरजेंसी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थिति अब इतनी चरमरा गई है कि लोगों को एक या दो बाल्टी पानी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है। बीते 15 दिनों से शिमला में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। मौजूदा हालात ने आपातकालीन जैसी स्थिति ले ली है। हालांकि स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वयं कमान संभाली है और समीक्षा बैठकें की जा रही हैं लेकिन अभी भी पानी को लेकर व्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी है। इसी बीच पानी की समस्या को लेकर हाईकोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया है। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस पर संज्ञान लिया है।
पर्यटकों से शिमला नहीं आने की अपील
अदालत ने शहर में जल संकट मामले में सोमवार को हस्तक्षेप करने का फैसला किया था और मंगलवार को कठोर प्रतिबंध लगा दिए। वहीं, स्थानीय निवासियों ने सोशल मीडिया पर संदेशों के जरिए पर्यटकों से शिमला नहीं आने को कहा है।
एक व्यक्ति ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘हमारे लिए पानी नहीं है. कृपया यहां नहीं आएं और किसी और गंतव्य को चुनें.’
शिमला नगर निगम क्षेत्र की आबादी तकरीबन 1.72 लाख है, लेकिन गर्मियों में पर्यटन के प्रमुख मौसम में यहां लोगों की संख्या 90 हजार से एक लाख तक और बढ़ जाती है।
इस मौसम में पानी की जरूरत बढ़कर रोजाना साढ़े चार करोड़ लीटर (एमएलडी) हो जाती है। अर्नव रमोला ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘सरकार को पर्यटकों को परामर्श जारी करके उनसे कहना चाहिए कि वे तब तक शिमला नहीं आएं जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं होता क्योंकि इससे जल की कमी से जूझ रहे निवासियों को और असुविधा होगी।’ अदालत ने आदेश दिया कि किसी भी टैंकर को वीआईपी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि इन वीआईपी लोगों में न्यायाधीश, मंत्री, नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान शामिल हैं।
मेयर चीन दौरे पर, शिमला की जनता पानी को तरसी
पानी की किल्लत के बीच शिमला नगर निगम की मेयर कुसुम सदरेट चीन दौरे पर गई हैं। विपक्ष तो मेयर के चीन दौरे पर जाने पर सवाल उठा ही रहा है, वहीं जनता में भी मेयर के चीन दौरे पर जाने को लेकर रोष है। लोगों का कहना है कि ऐसी गंभीर स्थिति में मेयर को चीन नहीं जाना चाहिए। बता दें कि मेयर कुसुम सदरेट पर्यटन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मेयर काऊंसिल में भाग लेने के लिए गई हैं।
1400 पेयजल स्कीमें सबसे ज्यादा प्रभावित
प्रदेश की 1400 पेयजल स्कीमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं, जहां पर जलस्तर में 90 फीसदी तक गिरावट आ गई है। इसके अलावा अन्य 1025 पेयजल योजनाओं में भी 25 प्रतिशत तक जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। जिला शिमला के अलावा जिला सोलन और जिला मंडी सबसे ज्यादा जल संकट से जूझ रहे हैं। शिमला में गंभीर जल संकट के बीच टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन यह भी नाकाफी साबित हो रही है।