नई दिल्ली : पी. चिदंबरम को 5 दिनों के लिए सीबीआई की रिमांड में भेजने का फैसला देते हुए कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां भी की हैं। पूर्व वित्त और गृह मंत्री रहे चिदंबरम की रिमांड पर फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और उनकी गहराई से जांच की जरूरत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री को रिमांड के लिए भेजने का फैसला देते हुए विशेष सीबीआई जज अजय कुमार ने कहा, ‘जांच को तार्किक अंत तक पहुंचाना जरूरी होता है और इसके लिए कई बार हिरासत में लेकर पूछताछ करना उपयोगी और फायदेमंद साबित होता है।’
कोर्ट ने कहा कि यह मामला मनी ट्रेल का है, जिसके बारे में पूरी जानकारी जुटाना जरूरी है। जज ने कहा कि यह केस पूरी तरह से डॉक्युमेंट्री एविडेंस यानी दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है और उनकी प्रामाणिकता के लिए पूरी पड़ताल होनी चाहिए। यही नहीं कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में हुए करप्शन में पी. चिदंबरम की कथित संलिप्तता को लेकर भी बेहद अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, ‘चिदंबरम को 2007-08 और 2008-09 में पेमेंट किए जाने की बात एकदम स्पष्ट और वर्गीकृत है।’
यही नहीं कोर्ट ने पी. चिदंबरम पर लगे आरोपों को गंभीर प्रकृति का बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ गहराई से जांच किए जाने की जरूरत है।हालांकि जज ने पी. चिदंबरम को थोड़ी राहत देते हुए हर दिन 30 मिनट के लिए वकीलों और परिजनों से मुलाकात की भी छूट दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई यह सुनिश्चित करे कि चिदंबरम की व्यक्तिगत गरिमा का किसी भी तरीके से हनन नहीं हो।
अदालत में सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें बोलने देने की मांग की। एसजी तुषार मेहता के विरोध के बाद भी उन्हें बोलने का मौका मिला। चिदंबरम ने कहा कि कृपया आप सवालों और जवाबों को देखिए। ऐसा कोई सवाल नहीं है, जिसका मैंने जवाब न दिया हो। आप ट्रांस्क्रिप्ट पढ़िए। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मेरा बाहर कहीं कोई खाता है, मैंने कहा नहीं। उन्होंने पूछा कि क्या मेरे बेटे का विदेश में कोई खाता है, मैंने कहा, हां।