नेशनल ब्यूरो: कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी पूरी ताकत झोंक इस्तीफा देने वाले विधायकों को मनाने की आखिरी कोशिशें तेज कर दी है। गिरने के कगार पर खड़ी कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी पूरी ताकत झोंक इस्तीफा देने वाले विधायकों को मनाने की आखिरी कोशिशें तेज कर दी है। एक तरफ विधायकों को मनाने की कोशिश हो रही है तो दूसरी तरफ दबाव बनाने के लिए 9 जुलाई को कांग्रेस विधायकों की बैठक में अनिवार्य रुप से शामिल होने का सर्कुलर जारी करते हुए नहीं आने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
अपनी सरकार पर मंडराते संकट के बीच रविवार को अमेरिका से लौटे मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी जेडीएस के इस्तीफा देने वाले बागी विधायकों की इसी तरह की बैठक बुलाने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने की नौबत आने पर विधानसभा भंग कराने का प्रयास करने के विकल्पों पर भी गौर कर रहे हैं।
कांग्रेस के नौ और जेडीएस के तीन विधायकों के इस्तीफे से विधानसभा में बहुमत खोने के करीब पहुंची कुमारस्वामी सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस ने प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे को भी बंगलुरू में तैनात कर दिया है।
मगर कांग्रेस के संकटमोचक रणनीतिकारों के संपर्क साधने से पहले ही इस्तीफा देने वाले कांग्रेस और जेडीएस के 12 में से 10 विधायक चार्टर विमान से शनिवार रात ही मुंबई के लिए उड़ गए। इसीलिए इन विधायकों से संपर्क साधना कांग्रेस रणनीतिकारों के लिए मुश्किल हो गया है। कांग्रेस के अनुसार भाजपा के एक राज्यसभा सांसद की कंपनी के चार्टर विमान से इन विधायकों को मुंबई भेजा गया और वहां उनसे संपर्क नहीं करने दिया जा रहा है।
खड़गे और वेणुगोपाल के साथ कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे बड़े संकटमोचक रहे कुमारस्वामी सरकार में मंत्री डीके शिवकुमार को एक बार फिर विधायकों को वापस लाने का जिम्मा सौंपा गया है। अशोक चव्हाण समेत महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी कर्नाटक के बागी विधायकों से किसी तरह संपर्क साध वापस लाने का प्रयास करने के लिए कहा गया है।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि 9 जुलाई की बैठक में इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक नहीं लौटते हैं तो फिर कर्नाटक की सत्ता सियासत को लेकर कांग्रेस-जेडीएस कड़े निर्णायक फैसले के विकल्प पर भी गौर कर सकते हैं। इसमें कुमारस्वामी सरकार के औपचारिक रुप से अल्पमत में आने से पूर्व कैबिनेट से विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव का भी एक विकल्प होगा।