मप्र. ब्यूरो से सौरभ अरोरा: इंदौर नगर निगम अधिकारी को बैट से मारने के आरोपी भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय के जमानत के लिए भोपाल जिला व सत्र न्यायालय में नए सिरे से अर्जी दाखिल की गई है। इससे पहले विधायक की जमानत अर्जी गुरुवार को कोर्ट ने खारिज कर दी थी। जल्द ही उनकी अर्जी पर जिला जज या एडीजे की कोर्ट में सुनवाई होगी।
नगर निगम ने विधायक के खिलाफ सात पन्नों की आपत्ति लगाते हुए कहा था कि मामले की सुनवाई भोपाल की विशेष अदालत में होनी चाहिए। अभी तक यह फैसला नहीं हुआ है कि एमपी/एमएलए कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होगी या नहीं। फिलहाल विधायक आकाश विजयवर्गीय इंदौर जिला जेल के वार्ड नंबर 6 के सेल में है। उसके साथ हत्या के आरोप में सजायाफ्ता कैदी धनपाल व दुष्कर्म के आरोप में सजा काट रहा कैदी सुरेश हैं।
जानकारों ने बताया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के अनुसार अगर आकाश विजयवर्गीय के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है, वह ट्रायल के दौरान साबित हो जाती हैं तो वह चुनाव लड़ने के अयोग्य हो सकते हैं। यह समय सीमा सजा सुनाने की तिथि से छह साल तक प्रभावी होगी।
आकाश के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने, मारपीट और बलवा के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 और 148 के तहत कम से कम 2 वर्ष और अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। केस में फैसला आने के समय अगर आकाश विधायक पद पर बने रहते हैं तो सजा को तीन महीने तक टाल दिया जाएगा। इस दौरान वह नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं।
दरअसल 26 जून को इंदौर-3 से विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से एक निगम कर्मचारी की पिटाई कर दी थी। निगम कर्मचारियों का दल एक जर्जर मकान को ढहाने के लिए पहुंचा था। तभी आकाश से उनकी बहस हो गई और मामला इतना बढ़ गया कि उन्होंने बल्ले से कर्मचारी पर हमला बोस दिया। दावा किया जा रहा है कि जिस मकान को लेकर विवाद हुआ था उसे ढहाने का आदेश पिछले साल शिवराज सरकार ने दिया था।