डलमऊ : मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे डलमऊ में अपने लक्ष्य से भटक रही है। निर्माण में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिले के नोडल अधिकारी नवनीत सहगल निरीक्षण के दौरान निर्माण से असंतुष्ट दिखे थे और मानकों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए थे। घाटों के निर्माण व जीर्णोद्धार में जमकर मानकों धज्जियां उड़ाई जा रही है।
कार्रवाई महज चेतावनी तक ही सीमित रह गई
डलमऊ में 900 मीटर के दायरे में आने वाले पांच गंगा घाटों के निर्माण व जीर्णोद्धार होना है। जिसके लिए नौ माह पूर्व केंद्र सरकार ने 16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। निर्माण की जिम्मेदारी भी ईआइएल संस्था को दे दी गई। ईआइएल ने वीआरसी कांस्ट्रक्शन संस्था को निर्माण कराने का काम दे दिया। निर्माण शुरू होते ही एजेंसी ने मनमानी शुरू कर दी। जिसकी कई शिकायतें हुईं। कार्रवाई महज चेतावनी तक ही सीमित रह गई। जिले के नोडल अधिकारी नवनीत सहगल निरीक्षण के दौरान निर्माण से असंतुष्ट दिखे थे और मानकों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए थे। घाटों के निर्माण व जीर्णोद्धार में जमकर मानकों धज्जियां उड़ाई जा रही है।
नक्शे के अनुरूप नहीं हो रहा है काम
निर्माण से पूर्व ईआइएल के जेई अमित कुमार श्रीवास्तव ने प्राचीन घाटों को उसी नक्शे के अनुरूप विकसित करने के दावे किए थे। एजेंसी ने महावीरन घाट पर समय व मैटेरियल की बचत के लिए नक्काशीदार बने द्वारों को साधारण रूप दे दिया। जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। घाटों के किनारे श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बने हालनुमा कमरों की छतें जर्जर हो गई हैं। जिनकी मरम्मत होनी थी, लेकिन एजेंसी ने करने से साफ इन्कार कर दिया।
शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार चुप
लखौरी ईटों से बने जर्जर घाटों में सुर्खी प्लास्टर का स्टीमेट स्वीकृत है। निर्माण एजेंसी सीमेंट से प्लास्टर करवा रही है। शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार चुप हैं। इस संबंध में निर्माण एजेंसी के कार्यों पर नजर रख रहे ईआइएल के यूपी हेड तनवीर ने बताया कि गंगा तटों पर सभी कार्य मानक के अनुरूप ही चल रहे हैं।