भोपाल से सौरभ अरोरा: कितना बुरी बीत रही होगी उन अभ्यर्थियों पर जो सालों से सपना संजोये बैठे थे कि कब भर्ती निकले और प्रोफ़ेसर बन छात्रों के भविष्य को उड़ान देने के अपने सपने को साकार करें. लेकिन 26 साल बाद मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा निकाली असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की भर्ती में चयन होने के बाद भी अगर आपको भटकना पड़े तो कोई इस बुरी पीढ़ा को नवनियुक्त प्रोफ़ेसरों के दिल से पूछे।
भर्ती शिवराज सरकार ने निकाली लेकिन चुनाव होने से कुछ महीने पहले और चयन प्रक्रिया ख़त्म होने के साथ अगस्त में रिज़ल्ट आ गया। चुनाव होने और आचार संहिता लगने में कुछ महीने बचे थे लेकिन पोस्टिंग नहीं मिली और फिर कांग्रेस सरकार प्रदेश में आ गयी। लेकिन अभी भी मामला जस का तस बना हुआ है। लेकिन फिर भी ये प्रोफ़सर्स उम्मीद में ही कि काॅलेजों में पढ़ने वाले हज़ारों छात्रों के हितों को ध्यान में इन प्रोफ़ेसरों को जल्द पोस्टिंग देगी।
पीएससी सहायक प्राध्यापक परीक्षा परिणाम के 04 माह बाद भी नहीं हुई पदस्थापना
म.प्र. लोकसेवा आयोग द्वारा जून में आयोजित असिस्टेंट प्रोफ़ेसर परीक्षा का परिणाम आये 04 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन अभी भी उच्च शिक्षा विभाग पीएससी द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की महाविद्यालयों में पदस्थापना नहीं कर सका है। प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर इस समय इसकी दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जहाँ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है वहीं दूसरी ओर स्थायी प्रोफेसरों की 26 साल से प्रदेश के महाविद्यालयों में नियुक्तियाँ न हो पाने की वजह से प्रदेश के कॉलेजों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और आवश्यक संसाधनों की पूर्ति के लिए विश्वबैंक से और रूसा के अंतर्गत यूजीसी से अनुदान की करोड़ों रुपये की राशि रुकी हुई है। नैक से प्रदेश के महाविद्यालयों के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन का काम भी अटका हुआ है।
विश्वविद्यालयों को बेहतर ग्रेड नहीं मिल पा रही
प्रदेश में पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से विधानसभा चुनाव की आचार-संहिता लागू होने से नियुक्ति आदेश जारी नहीं हो सके हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि दिसम्बर अंत तक कमलनाथ केबिनेट के गठन के साथ ही नए साल 2019 में जनवरी माह में प्रदेश के कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की पदस्थापना हो जाएगी। प्रदेश के उच्च शिक्षा व्यवस्था से जुड़े जानकारों का मानना है कि स्थायी प्रोफेसरों की नियुक्तियां होने से प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया को तेजी से गति मिलेगी, स्थायी प्राध्यापकों की वर्षों से प्रदेश में भर्ती न हो पाने के कारण नेक द्वारा प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बेहतर ग्रेड नहीं मिल पा रही है।
परमानेंट प्रोफेसर न होने के चलते लॉ कॉलेजो की मान्यता खतरे में
स्थायी प्राध्यापकों की नियुक्ति न हो पाने के चलते बार काउन्सिल ऑफ इण्डिया ने प्रदेश के कई लॉ कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है और प्रदेश के शेष बचे सभी लॉ कॉलेज मान्यता के संकट से जूझ रहे हैं। प्रदेश के 21 से अधिक लॉ कॉलेजों के मान्यता संबधी मामले बीसीआई में लंबित हैं इसका सबसे अहम कारण लॉ कॉलेजों में स्थायी प्रोफेसरों की नियुक्तियां न होना है। बीसीआई के लीगल एजुकेशन रूल्स के अनुसार लॉ कॉलेजों में गेस्ट फ़ैकल्टी नहीं हो सकते, परमानेंट प्रोफेसर होना अनिवार्य है।
एकेडमिक माहौल और रिसर्च का हुआ है अवमूल्यन
प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था के हालात यह हैं कि महाविद्यालयों में रेगुलर स्टाफ़ की संख्या लगातार घटती जा रही है। रेग्युलर स्टाफ़ कम होने के कारण उन पर शैक्षणेत्तर कार्यों का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है परिणामस्वरूप वे नियमित रूप से क्लासेस नहीं ले पा रहे हैं और न ही शोध कार्यों पर उचित ध्यान दे पाते हैं। देखने मे आया है प्रदेश के अधिकांश कॉलेज रेग्युलर स्टाफ़ और अतिथि विद्वानों के अंतर्विरोध और आपसी संघर्ष के अड्डे बनकर रह गए हैं।
ग्वालियर हाईकोर्ट ने दिया था इस सत्र के प्रारम्भ तक नियुक्तियाँ करने का निर्देश
हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में जस्टिस धर्माधिकारी और जस्टिस शील नागू की बेंच ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए पिछले 25 वर्षों में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्थायी प्राध्यापकों की नियुक्तियां न किये जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अकादमिक सत्र 2018-19 के प्रारम्भ तक नियुक्तियाँ करने का निर्देश दिया था। लेकिन आधा सत्र बीत जाने के बाद भी न्यायालयीन आदेश का अनुपालन नहीं हो पाया है।
चयनित अभ्यर्थियों ने बनाया संगठन, शीघ्र नियुक्ति की रखी माँग
सहायक प्राध्यापक परीक्षा में चयनित हुए अभ्यर्थियों ने भी अब नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही अनावश्यक देरी से परेशान होकर अपना संगठन तैयार कर लिया है और शासन में बैठे लोगों से शीघ्र पदस्थापना करने की मांग रखी है। इस बारे में जब नवचयनित सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिशंकर कंषाना से बात की गई तो उनका कहना था कि हमारे प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी से पिछले दिनों मुलाकात कर चयनित अभ्यर्थियों की शीघ्र पदस्थापना किये जाने की मांग रखी है जिस पर उन्होंने सकारात्मक जवाब देते हुए इस पर जल्द ही कार्य करने का आश्वासन दिया है और हमें आश्वस्त करते हुए कहा है कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार देना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में शुमार है।