उत्तर प्रदेश

राम मंदिर के लिए शिया वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में रखेगा पक्ष, मस्जिद के लिए नहीं चाहिए जमीन

लखनऊ: राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे वाद में शिया वक्फ बोर्ड का पक्ष दो अधिवक्ता रखेंगे। इंदिरा भवन स्थित उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड कार्यालय में हुई बैठक में यह फैसला किया गया। बोर्ड अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने कहा कि राम मंदिर के पक्ष में विवाद को खत्म किए जाने में शिया वक्फ बोर्ड की अहम भूमिका कोर्ट में सुनवाई के दौरान रहेगी। उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता एमसी डिन्ग्रा व वरिष्ठ अधिवक्ता एसपी सिंह वक्फ बोर्ड का पक्ष रखेंगे। जरूरत पड़ने पर बोर्ड किसी अन्य अधिवक्ता को भी न्यायालय में उपस्थित कर सकता है।

एक भी टुकड़ा मस्जिद निर्माण के लिए नहीं लेना चाहता

रिजवी ने आरोप लगाया कि 2 फरवरी, 1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक विधि विपरीत अधिसूचना जारी करके बाबरी मस्जिद को सुन्नी वक्फ घोषित किया था। उन्होंने दावा किया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने करवाया था जो शिया मुसलमान था। इस वजह से शिया वक्फ बोर्ड का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में मजबूत है। रिजवी ने कहा कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र के साथ कहा जा चुका है कि बोर्ड विवादित भूमि पर राम मंदिर बनने के हक में है और उक्त भूमि का एक भी टुकड़ा मस्जिद निर्माण के लिए नहीं लेना चाहता।

वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष कभी कोर्ट में नहीं रखा

शिया वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस प्रकरण में प्रतिवादी है और हाईकोर्ट में भी था। चूंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड मुकदमे को लड़ रहा था, इसलिए शिया वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष कभी कोर्ट में नहीं रखा, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि शिया बोर्ड अब मुकदमे में अपना पक्ष नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि पूरा मामला बातचीत से तय हो सकता था। इस वजह से सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से शिया वक्फ बोर्ड अलग हट गया है।

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