नई दिल्ली: करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान सरकार जल्द ही भारत के सामने एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। इसमें कॉरिडोर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। न्यूज एजेंसी ने पाक मीडिया के हवाले से बताया कि बगैर परमिट के किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। पासपोर्ट भी जरूरी होगा और एक दिन में 500 श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जाएगा। भारत को तीन दिन पहले यात्रियों की जानकारी देना भी जरूरी होगा।
इमरान खान ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया
बता दें कि पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुदारे से जोड़ने के लिए भारत-पाकिस्तान के साझा सहयोग से करतारपुर गलियारे का निर्णाण किया जा रहा है। मोदी सरकार की कैबिनेट से करतारपुर गलियारे बनाने की मंजूरी पहले दी दे दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने भी करतारपुर साहिब तक जाने वाले कॉरिडोर की नींव रखी। पिछले महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक बनाया जाएगा गलियारा
भारत ने करतारपुर साहिब गलियारा बनाने का प्रस्ताव 20 साल पहले दिया था। हाल ही में दोनों देशों ने इस कॉरिडोर को बनाने पर सहमति जताई और इसकी नींव रखी। करतारपुर गलियारा (कॉरिडोर) गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक स्थान से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक बनाया जाएगा। भारत में गलियारे का करीब दो किलोमीटर और पाकिस्तान में करीब तीन किलोमीटर का हिस्सा होगा। गलियारे के निर्माण में करीब 16 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। चार महीने में करतारपुर कॉरिडोर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
करतारपुर साहिब का इतिहास
करतारपुर साहिब वह जगह हैं, जहां 1539 में गुरु नानक जी का निधन हुआ था, जिसके बाद पवित्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। यह पाकिस्तान में रावी नदी के नजदीक स्थित हैं। गुरुनानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहीं बिताए थे। पंजाब प्रांत के गुरदासपुर जिले से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा केवल चार किलोमीटर दूर है। 1947 में विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के हिस्से चला गया। ये सिखों के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है, यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं।