सौरभ अरोरा की रिपोर्ट: ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि बिना निर्दलीय विधायकों के कमलनाथ की सरकार नहीं चल सकती है और जल्द ही सरकार निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद से नवाजेगी। मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करने वाली कांग्रेस की कमलानाथ सरकार की मुश्किलें कम होने का काम नहीं ले रही हैं। मंत्रियों के शपथ ग्रहण के कई दिन बीत जाने के बावजूद विभागों का बंटवारा नहीं होने की वजह से विपक्षी पार्टी बीजेपी हमलावर है। तो वहीं मंत्री का पद नहीं मिलने से कई विधायक नाराज़ हैं. बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने कमलनाथ सरकार को अल्टीमेटम दिया है। बुरहानपुर सीट से कांग्रेस के बाग़ी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते ठाकुर सुरेंद्र सिंह उर्फ़ शेरा मंत्री पद की आस लिए एक पखवाड़े से भोपाल में डटे हुए थे। लेकिन मंत्री पद नहीं मिलने से बुरहानपुर बैरंग लौटे और जनता से आभार शुरू कर दिया।
सरकार में मंत्री किसे बनाए किसे नहीं बनाएं
ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि बिना निर्दलीय विधायकों के कमलनाथ की सरकार नहीं चल सकती है और जल्द ही सरकार निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद से नवाज़ेगी। मप्र में 114 सदस्यों वाली कांग्रेस की अल्पमत वाली सरकार ने सपा बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ सरकार तो बना ली, लेकिन बीते एक पखवाड़े से सरकार में मंत्री किसे बनाए किसे नहीं बनाएं, इसे लेकर खींचतान चल रही है। इस सूची में बुरहानपुर से कांग्रेस के बाग़ी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में और भाजपा की मंत्री रहीं अर्चना चिटनीस को हरा विजयी हुए ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा को भी मंत्री पद मिलने की काफ़ी आस बंध गई थी। लेकिन मंत्री पद नहीं मिलने से ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा अपने क्षेत्र में बैरंग लौटे व मतदाताओं का आभार व्यक्त करना शुरू कर दिया।
चहेता विभाग दिलाने के लिए गुट अड़ गए
इस दौरान ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने दावा किया कि बिना निर्दलीय विधायकों के सरकार नहीं चल सकती और जल्द ही सरकार निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाने जा रही है. बहरहाल अल्पमत की सरकार कांग्रेस के लिए गाड़ी खींचना इतना आसान नहीं दिख रहा है जिसका नतीजा ये है कि अभी तक मंत्रियों में विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है, कहीं मंत्री पद न मिलने से ख़ुद पार्टी के विधायक अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए हैं और लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने की बात कर रहे हैं तो कहीं अपनों को चहेता विभाग दिलाने के लिए गुट अड़ गए हैं तो कमलनाथ सरकार के लिए बाहर वालों के साथ पहले अपनों को साधने की भी चुनौती है और इसका कैसे निपटान होगा ये तो कांग्रेस ही जानें लेकिन इस हिसाब से क्या वाकई पाँच साल गाड़ी चल पाएगी या?