केरल सरकार ने डॉ. कफील खान को केरल आने से रोक दिया है। वजह नहीं पता लेकिन केरल सरकार कोई उचित कारण नहीं बता रही। डॉ. कफील केरल जाकर निपाह वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने खुद सरकार से दरख्वास्त की थी। डॉ. कफील के न्योते को खुशी खुशी स्वीकारने वाली केरल सरकार ने अचानक से इस पर यू टर्न ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक, केरल सरकार ने भाजपा और विपक्षी दलों के द्वारा दूसरे राज्य में आरोपी डॉ. कफील को बुलाने पर की गई निंदा के कारण यूटर्न लिया है। कहा ये भी जा रहा है कि डॉ. कफील को वहां इलाज के लिए जाने से पहले राज्य के स्वास्थ्य विभाग से पहले इसकी अनुमति लेनी पड़ती।
केरल सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया है जब वहां निपाह से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है। केरल सरकार ने शुक्रवार को यूपी के डॉ. कफील खान को निपाह वायरस के पीड़ितों के इलाज के लिए केरल आने से मना कर दिया है। डॉ. कफील उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के निलंंबित बाल रोग विशेषज्ञ हैं।
सरकार के फैसले से हतोत्साहित-
डॉ. कफील ने केरल सरकार के इस फैसले पर अफसोस जताया है। डॉ. कफील खान ने मीडिया से बातचीत में बताया,”मुझे केरल सरकार ने अपनी यात्रा रद करने के लिए कहा है। मैं असहाय हूं और ऐसे मुश्किल वक्त में भी मैं अपनी सेवाएं वहां नहीं दे पा रहा हूं, इसका मुझे अफसोस है। मुझे नहीं पता कि सरकार को अगले 11 घंटे में ही ये फैसला लेने के लिए किसने उकसाया है। मैं शुक्रवार शाम को इलाज के लिए उत्तरी केरल के कोझीकोड इलाके में जाना चाहता था। ये इलाका निपाह वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है।” मैं अभी भी फोन कॉल का इंतजार कर रहा हूं।”
मुख्यमंत्री ने तुरंत स्वीकार किया था प्रस्ताव
डॉ. कफील खान सात महीने जेल में बिताने के बाद जमानत पर बाहर आए हैं। उनका नाम पिछले साल अगस्त में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में आॅक्सीजन की कमी के कारण हुई 30 बच्चों की मौत के बाद चर्चा में आया था। डॉ. कफील ने सोशल मीडिया पर नर्स लिनी को श्रद्धांजलि दी थी। लिनी वही नर्स हैं जो निपाह पीड़ित मरीजों की सेवा करते हुए खुद उसकी चपेट में आ गई थीं। तीन दिन पहले डॉ. कफील ने अपनी मदद का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने तुरंत ही जवाब दिया था। बाद में उन्होंने कफील को केरल की यात्रा करने से मना कर दिया।