भोपाल : कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस को तीन राज्यों की सत्ता में ला दिया। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जमकर भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे के अंदर ही कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए हैं। इस आदेश के साथ ही किसानों को सरकारी और सहकारी बैकों द्वारा दिया गया 2 लाख रुपए तक का अल्पकालीन फसल ऋण माफ हो जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने चुनाव में वादा किया था कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो सिर्फ 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार के इस कदम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि एक ने किया दो बाकी।
कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए
इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पहले काम के रूप में कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही कन्या विवाह योजना के तहत दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर 51 हजार कर दिया है। राज्य में चार गारमेंट पार्क बनाने को भी मंजूरी दी गई है। इससे पहले भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। इसी दौरान मंच पर पहुंचे कमलनाथ सबसे एक-एक कर मिले।
किसानों का 2 लाख रुपये तक का लोन माफ
सीएम कमलनाथ ने कहा, ‘इस पद पर आने के बाद मैंने जो पहली फाइन साइन की है, वह है किसानों का 2 लाख रुपये तक का लोन माफ करने की। जैसा कि मैंने वादा किया था। निवेश को प्रोत्साहन करने की हमारी स्कीम तभी लागू होगी, जब 70 प्रतिशत रोजगार एमपी के लोगों को दिया जाएगा। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों को यहां रोजगार मिलता है और स्थानीय लोगों को काम नहीं मिलता। इस संबंध में भी मैंने फाइल पर साइन किए हैं।’ मध्य प्रदेश के सीएम द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर करने की खबर के कुछ देर बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘मध्य प्रदेश के सीएम ने किसानों का कर्ज माफ किया। एक ने किया दो बाकी है।’
CM, Madhya Pradesh, waives farm loans.
1 done.
2 to go.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 17, 2018
विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था
इस बार मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था। कमलनाथ को अरुण यादव की जगह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया और उनकी अगुआई में ही पार्टी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस को बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटें अपने दम पर तो नहीं मिलीं लेकिन एसपी, बीएसपी और निर्दलीयों के सहयोग से वह राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हो गई है।
आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे को देखते हुए मध्य प्रदेश के कई किसानों ने अपने लोन की किस्त जमा करनी बंद कर दी थी। किसानों ने पहले से ही यह मान लिया था कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो उनका कर्ज माफ हो जाएगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल राज्य में किसानों ने धान की फसल भी कम बेची है। ऐसा इसलिए है कि अगर किसान धान की फसल बेचते तो उनको मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके खाते में आता और बैंक लोन की किस्त काट लेते।
कांग्रेस ने किसानों की नाराजगी को हवा दी
चुनाव में भी कांग्रेस नेताओं ने किसानों से कर्जमाफी का वादा करते हुए अपील की थी कि वे धान की फसल न बेचें और कांग्रेस के लिए वोट दें। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पिछले सालों में किसानों ने कई बार छोटे-बड़े आंदोलन भी किए। कांग्रेस ने किसानों की नाराजगी को हवा दी और उस माहौल का अपने पक्ष में बखूबी इस्तेमाल किया।