नई दिल्ली: आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने के लिए सरकार सख्त हो रही है। गौरतलब है कि आतंकी संगठन लश्करे तैयबा की मस्जिदों और मदरसों की फंडिंग के खुलासे के बाद सभी जांच एजेंसियां सतर्क हो गई है। फिलहाल इस मामले की एनआइए जांच कर रही है, लेकिन जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू कर सकता है। ईडी की जांच शुरू होने के बाद आतंकी फंडिंग से बने मदरसों और मस्जिदों की संपत्ति को जब्त किया जा सकता है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत ईडी को काली कमाई से बनाई गई किसी भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है।
मस्जिदों और मदरसों के माध्यम से कट्टरता फैलाने की भी साजिश
दरअसल पिछले महीने एनआइए ने देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे लश्करे तैयबा के आतंकी फंडिंग के माड्यूल का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान पता चला था कि आतंकी फंडिंग का यह जाल सिर्फ कश्मीर में आतंकियों को धन मुहैया कराने तक सीमित नहीं है। बल्कि लश्करे तैयबा मस्जिदों और मदरसों के माध्यम से देश के भीतर कट्टरता फैलाने की भी साजिश कर रहा है।
आतंकी फंडिंग के पैसे का इस्तेमाल
आतंकी फंडिंग के लिए गिरफ्तार मोहम्मद सलमान हरियाणा के पलवल जिले के एक गांव के मस्जिद का इमाम भी है। पूछताछ में खुले सलमान ने स्वीकार किया कि आतंकी फंडिंग के पैसे का इस्तेमाल उसने मस्जिद और मदरसा बनाने में किया था। इसके बाद एनआइए ने मस्जिद की तलाशी भी ली थी और कई दस्तावेज भी बरामद किया था।
जल्द ही केस से जुड़े दस्तावेज ईडी को उपलब्ध करा दिये जाएंगे
आतंकी फंडिंग से मस्जिदों और मदरसों के निर्माण और उसके माध्यम से कट्टरता फैलाने की लश्करे तैयबा की बड़ी साजिश के खुलासे के बाद दूसरी एजेंसियों को भी जांच में शामिल किया जा रहा है। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही केस से जुड़े दस्तावेज ईडी को उपलब्ध करा दिये जाएंगे। इसके बाद ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत नया केस दर्ज करेगा। ईडी का काम मुख्य रूप से आतंकी फंडिंग से बनाई गई संपत्तियों का पता लगाकर उसे जब्त करने का होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा
एनआइए के अनुसार लश्करे तैयबा सरगना और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद फलाह-ए-इंसानियत के माध्यम से आतंकी फंडिंग कर रहा था। फलाह-ए-इंसानियत भी लश्करे तैयबा का मुखौटा संगठन है और संयुक्त राष्ट्र ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए आतंकी फंडिंग के लिए दुबई में रहने वाले फलाह-ए-इंसानियत से जुड़े एक पाकिस्तानी का इस्तेमाल किया जाता था। यह पाकिस्तान एक ओर निजामुद्दीन में रहने वाला मोहम्मद सलमान को हवाला व अन्य माध्यम से लाखों रुपये भेजता और साथ ही वह पाकिस्तान स्थित फलाह-ए-इंसानियत के डिप्टी चीफ के साथ लगातार संपर्क में था।