न्यूयॉर्क: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र में मंगलवार को राफेल डील को लेकर सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा जब भारत और फ्रांस के बीच 36 विमानों के लिए लाखों डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे, तब वे सत्ता में नहीं थे। उन्होंने कहा कि यह सौदा दो सरकारों के बीच हुआ समझौता है।
यह दोनों सरकारों के बीच की बातचीत
मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या भारत सरकार ने कभी फ्रांस या दैसो को बताया था कि उन्हें राफेल डील में रिलायंस को भारतीय साझेदार बनाना होगा? इसी पर मैक्रों ने कहा- तब मैं सत्ता में नहीं था। मैक्रों ने कहा कि मैं पूरी तरह स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह दोनों सरकारों के बीच की बातचीत है। मैं इसके लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का हवाला दूंगा, जो उन्होंने कुछ दिन पहले कही थी। मैक्रों पिछले साल मई में राष्ट्रपति बने थे।
2019 इन विमानों की डिलीवरी शुरू
भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस सरकार से 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल फाइटर विमानों की डील की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा 2015 के अपने पेरिस दौरे के करीब डेढ़ साल बाद की थी। उम्मीद है कि सितंबर 2019 इन विमानों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी।
राफेल डील पर भारत में विवाद उस समय बढ़ा, जब पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने फ्रेंच मीडिया को जानकारी दी थी कि राफेल डील में रिलायंस डिफेंस को साझेदार बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार ने दिया था। इसके बाद कांग्रेस राफेल डील पर सवाल उठाते हुए कई दिन से भाजपा को घेर रही है।