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नवाज शरीफ की पत्‍नी कुलसुम नवाज का लंदन के अस्‍पताल में निधन

नवाज शरीफ की पत्‍नी कुलसुम नवाज का मंगलवार को लंदन के अस्‍पताल में निधन हो गया है। उनका लंदन के अस्‍पताल में करीब काफी समय से केंसर का इलाज चल रहा था। पिछले वर्ष नवाज को कोर्ट द्वारा सत्‍ता से बेदखल किए जाने के बाद जब लाहौर की NA-120 सीट पर उपचुनाव हुआ था तब कुलसुम को ही यहां से उम्‍मीदवार बनाया गया था।

सितंबर से ही अस्‍पताल में थीं भर्ती 

माना जा रहा था कि कोर्ट के सख्‍त रुख के बाद नवाज पार्टी की पूरी जिम्‍मेदारी के साथ-साथ देश की कमान भी वक्‍त पड़ने पर उन्‍हें सौंप देंगे। लेकिन चुनाव से पहले ही उनकी हालत खराब हो गई थी और उन्‍हें इमरजेंसी में लंदन के अस्‍पताल में भर्ती करना पड़ा था। सितंबर से ही वह अस्‍पताल में भर्ती थीं। आपको बता दें कि इसी वर्ष जून में उन्‍हें जबरदस्‍त दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्‍हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। तब से ही वह इस पर थीं। यह कहना गलत नहींं गलत नहीं होगा कि नवाज के पूरे परिवार के लिए यह सबसे मुश्किल पल है। फिलहाल नवाज और मरियम दोनों ही पाकिस्‍तान की जेल में बंद हैं।

मरियम अम्‍मी के काफी करीब

मरियम अपने पिता और अम्‍मी के काफी करीब मानी जाती हैं। यही वजह है कि जब कुलसुम को दिल का दौरा पड़ने की बात सामने आई तो मरियम ने ट्विटर पर यह जानकारी देते हुए लिखा कि वह अपनी मां को देखने लंदन जा रही हैं। उन्‍होंने सभी लोगों ने अपनी मां की सेहत के लिए दुआ करने को भी लिखा था। मरियम की मां से करीबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्‍होंने लंदन में अस्‍पताल में अपनी मां को देखने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था कि वह अपनी मां की आवाज सुनने के लिए तरस रही हैं। वह उन्‍हें फिर से हंसता हुआ देखना चाहती हैं।

कभी नहीं गई नेशनल असेंबली 

नेशनल असेंबली का चुनाव जीतने के बावजूद अपनी बीमारी की वजह से कुलसुम कभी  भी नेशनल नअसेंबली नहीं जा सकी । 2 मई को नवाज शरीफ ने अपनी शादी की 47वीं सालगिरह को भी कुलसुम के साथ बड़े उदासी भरे माहौल में मनाई था, जबकि पिछले वर्ष यह बड़े शानदार तरीके से मनाई गई थी और मरियम ने इस जश्‍न की फोटो ट्विटर पर शेयर भी की थीं।

नवाज के जीवन में काफी अहम योगदान

आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुलसुम का नवाज के जीवन में काफी अहम योगदान रहा है। जिस वक्‍त पाकिस्‍तान के तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज को जीवनदान के बदले में देश छोड़ने का फरमान सुनाया था, उस वक्‍त भी कुल‍सुम ने ही आगे बढ़कर मोर्चा संभाला था।

नवाज की वतन वापसी का श्रेय भी कुलसुम को

इस दौरान कुलसुम ने न सिर्फ पार्टी को जिंदा रखा बल्कि आम चुनाव में पार्टी को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। यह कहना कहीं भी गलत नहीं होगा कि कुलसुम हमेशा से ही नवाज की ताकत बनती रही हैं। सात वर्षों तक जबरन देश निकला सहने वाले नवाज की वतन वापसी का श्रेय भी कुलसुम को ही जाता है।

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