भोपाल: कुछ ही महीनों में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं बीजेपी की तरफ़ से तो पार्टी हाईकमान ने इस बार भी फिर शिवराज को ही चेहरा बनाया है। लेकिन कांग्रेस ने अपने सीएम कैंडिडेट के लिए आजतक किसी का नाम घोषित नहीं किया है और इन सब के बीच विभिन्न पद विभाजन कर सबको असमंजस में डाल दिया। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व कमलनाथ को सौंप प्रमुख दावेदार ज्योतिरादित्य समर्थकों को झटका दिया। वहीं ज्योतिरादित्य को प्रचार समिति के मुखिया की कमान सौंपने के साथ ही समन्वय समिति प्रमुख की ज़िम्मेदारी दिग्विजय को सौंपी ऐसे ही अन्य प्रमुख नेताओं को विभिन्न पद बांटे।
परिणाम आने के बाद ही पार्टी अपने मुख्यमंत्री पर निर्णय लेगी
यह बता देता है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही पार्टी अपने मुख्यमंत्री पर निर्णय लेगी। लेकिन बात यहां कहां ठहरने वाली थी कि इन प्रमुख नेताओं की अपनी-अपनी महत्वकांक्षा के बीच तरह-तरह की ब्यानबाजी और आपसी ट्विटर वार के अन्य वाद-विवाद जारी हैं। मध्यप्रदेश में विभिन्न गुटों में बंटी कांग्रेस और उनके समर्थकों के अपने-अपने दावे हैं।
‘महाराज’ या किसी अन्य का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल
अभी हाल ही में हिन्दी वेबसाइट द वायर को दिए इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने एक महत्त्वपूर्ण बात की ओर इशारा किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे हमारी पार्टी ने हिमाचल और पंजाब में भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। लेकिन जीत के बाद दोनों प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष को मुख्यमंत्री बनाया जो साफ़ इशारा करता है कि मध्यप्रदेश में भी अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो कमलनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे। कहीं न कहीं दिग्विजय भी कमलनाथ के समर्थन में है। अगर इस बात पर बल दिया जाए तो वाकई सत्ता में आने पर प्रमुख दावेदार ‘महाराज’ या किसी अन्य का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल है साथ ही उनके समर्थकों के लिए ये बात निराशा लेकर आती है लेकिन कमलनाथ के समर्थकों के लिए अच्छा इशारा।