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उत्तर प्रदेश में वर्षों से लंबित भर्तियां, प्रतियोगी छात्र परेशान सरकार और आयोग मौन

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी अपने चरम पर है और राज्य में किसी भी नौकरी के एक पद के लिए सैकड़ों और हजारों की तादाद में अर्जियां आ रही हैं। सरकार बदली लेकिन लेकिन युवाओं की न दशा बदली और न ही दिशा बदली आपको बताते चलें की भाजपा ने युवाओं दम पर सत्ता में काबिज हुई,युवाओं ने भरोसा करके सत्ता में बिठाया के लेकिन आज वही युवा ठगा से महसूस कर रहा है नई सरकार बनते ही उसने जांच के नाम पर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में गबड़ी का हवाला देते हुये विजिलेंस जांच के नाम पर लगभग 2 वर्ष पूर्ण कर लिए।

12 सितंबर को आयोग और मुख्यमंत्री आवास के समक्ष होगा विशाल धरना

लेकिन अभी तक जांच पूर्ण न हो सकी मामला है आयोग के विज्ञापन संख्या 04/2016 जूनियर अस्सिस्टेंट जिसके अभ्यर्थियों ने 2016 में इसका फॉर्म फील किया परीक्षा दी,स्किल टेस्ट दिया, दो बार साक्षात्कार दिया एक सपा साशन में और दूसरी बार नई सरकार द्वारा गठित नए आयोग के समक्ष।जिसके साक्षात्कार भी पूर्ण हो चुके हैं लेकिन अभी अभ्यर्थियों को परिणाम के लिये धरना प्रदर्शन कर रहा है क्योंकि आयोग अभी भी जांच न पूर्ण होने की बात कह कर परिणाम को टाल रहे है, भर्ती को लगभग 3 वर्ष पूर्ण होने को है लेकिन अभी भी प्रतियोगी छात्रों को सिर्फ और जांच का झुनझुना था देते हैं, अब अभ्यर्थियों ने विशाल धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है जो कि 12 सितंबर को जो आयोग और मुख्यमंत्री आवास के समक्ष होगा।।

1 करोड़ 32 लाख नौजवान बेरोजगार

उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 21 करोड़ है और एनएसएसओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 1 करोड़ 32 लाख नौजवान बेरोजगार हैं। अफसोस की बात ये है कि बेरोजगारों की इस फौज को कम करने की कोई स्ट्रैटजी राज्य सरकार के पास नहीं है।

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