वॉशिंगटन: इसी साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई न करने की वजह से पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए, सैन्य मदद रोकने की धमकी दी थी। पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनने से पहले ही ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को दी जाने वाले प्रशिक्षण और शैक्षणिक ट्रेनिंग में कमी करने का फैसला किया है। अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान को यह साबित करना होगा कि वो आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसला की आलोचना की
फिलहाल की ट्रंप प्रशासन की इस घोषणा के बाद के पेंटागन की तरफ से किसी भी प्रकार प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, अमेरिका अधिकारियों ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसला की आलोचना की है। वहीं, पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से वे सैन्य मदद के लिए रूस और चीन की तरफ मुड़ेंगे।
एक राज्य विभाग के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अमेरिकी सरकार के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम (आईएमईटी) से पाकिस्तान का प्रभावी निलंबन इस साल 66 पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए अलग-अलग जगहों को बंद कर देगा। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पूर्व अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि डेन फेल्डमैन ने इस कदम को भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को पूरी तरह सीमित करने के लिए इसका नकारात्मक प्रभाव होगा।