भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7,718.17 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध घाटा हुआ है। वसूली में फंसे कर्जों (NPA) के लिए नुकसान के ऊंचे प्रावधान करने के कारण इतना बड़ा घाटा हुआ। मार्च तिमाही में एसबीआई की ब्याज आय 5.2 फीसद कम होकर 19974 करोड़ रुपये के स्तर पर रही है। बीते वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 21,065 करोड़ रुपये रहा था। तिमाही दर तिमाही के आधार पर जनवरी से मार्च तिमाही में कंपनी की ग्रॉस एनपीए 10.35 फीसद से बढ़कर 10.91 फीसद हो गया है। वहीं इसका नेट एनपीए 5.61 फीसद से बढ़कर 5.73 फीसद हो गया है।
अगर रुपये में एनपीए की बात करें तो तिमाही आधार पर मार्च तिमाही में एसबीआई का ग्रॉस एनपीए 1.99 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसी तिमाही में बैंक का नेट एनपीए 1.02 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.11 लाख करोड़ रुपये रहा है।
इस तरह जनवरी से मार्च तिमाही में एसबीआई की प्रोविजनिंग 18876 करोड़ रुपये से बढ़कर 28096 करोड़ रुपये रही है। बीते वर्ष की समान अवधि में यह 11740 करोड़ रुपये रही थी। तिमाही आधार पर एसबीआई की वित्त वर्ष 2018 की मार्च तिमाही में लोन ग्रोथ 6 फीसद रही थी।
तिमाही नतीजों में घाटा दर्ज करने के बावजूद बीएसई पर करीब 2.45 बजे एसबीआई के शेयर्स 3.30 फीसद की बढ़त के साथ 253.10 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। इसका दिन का उच्चतम स्तर 259.90 का स्तर और निम्नतम 241.30 का स्तर रहा है। इस तरह 52 हफ्तों का उच्चतम 351.50 का स्तर और निम्नतम 232 का स्तर रहा है।