औरंगाबाद: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं। गडकरी ने कहा कि एक ‘सोच’ है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें। गडकरी महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठों के वर्तमान आंदोलन तथा अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।
नौकरियां कहां हैं?’
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है। लेकिन, नौकरियां नहीं हैं। क्योंकि, बैंक में आइटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं। सरकारी भर्ती रुकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?’ गडकरी के मुताबिक, आरक्षण के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें पिछड़ापन एक राजनीतिक मुद्दा बन जाता है। हर कोई कहता है कि मैं पिछड़ा हूं। बिहार और उत्तर प्रदेश में ब्राह्माण मजबूत स्थिति में हैं। राजनीति में वे हावी हैं। लेकिन, फिर भी खुद को पिछड़ा कहते हैं।
गरीब गरीब होता है
उन्होंने कहा कि एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है। उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती। उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिंदू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है, जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं। खाने के लिए भोजन नहीं है। यह सोच कहती है कि हमें हर समुदाय के अति गरीब धड़े पर भी विचार करना चाहिए।
इसका राजनीतीकरण नहीं किया जाना चाहिए
उन्होंने कहा कि यह सामाजिक-आर्थिक सोच है। इसका राजनीतीकरण नहीं किया जाना चाहिए। राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी का परिचय देते हुए आग में घी डालने का काम नहीं करना चाहिए। गडकरी ने कहा कि विकास, औद्योगीकरण और ग्रामीण उत्पादों के बेहतर मूल्य से आर्थिक असमानता में कमी आएगी, जिसका मराठा समुदाय को अभी सामना करना पड़ रहा है।