देश

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की गरीब परिवारों के आरक्षण की मांग वाली याचिका

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले बीपीएल परिवारों के लिए नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह एक पॉलिसी का मामला है। इस पर केंद्र सरकार को निर्णय लेना होगा कि उन्हें बीपीएल परिवारों को आरक्षण देना है या नहीं। मामले में कोर्ट ने सरकार को किसी तरह का कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं करने की बात कही। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले में उन्हें सरकार के पास जाना चाहिए। सरकार की ओर से इस मामले में कोई निर्णय लिया जा सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बीपीएल परिवार को एक समुदाय की तरह माना जाएं।

आरक्षण की मांग को लेकर एक लंबी बहस

देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर एक लंबी बहस चली है। सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कई बार नेताओं की ओर बयान आते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू भी आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत कर चुके हैं। हालांकि सरकार की ओर से मामले में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया गया है।

कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता। देश में वर्ष 1950 में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। इसके बाद वर्ष 1990 से ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 46 के मुताबिक समाज में शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के हित का विशेष ध्यान रखना सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि आरक्षण का संविधान में सीधे कोई जिक्र नहीं किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *