उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश: अयोध्या में विवादित जमीन पर अब बौद्धों ने किया अपना दावा

नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब बौद्धों ने उस जमीन पर अपना हक जताया। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है और कहा है कि मुख्य मुद्दे की सुनवाई वाली बेंच ही मामले की सुनवाई कर सकती है।

विवादित जमीन बौद्ध समुदाय

बौद्ध समुदाय के कुछ लोगों का दावा है कि यह विवादित जमीन बौद्ध समुदाय की है क्योंकि यह पहले एक बौद्ध स्थल था। अयोध्या के विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है। उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर ऐसी अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दायर हुई है। यह याचिका बौद्ध समुदाय के उन सदस्यों की ओर से दायर की गई है जो भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के आधार पर जीते हैं। दावा किया गया है कि मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था।

सलाह लेकर बसाई जाएगी नई अयोध्या नगरी
‘नव्य अयोध्या’ पुरानी अयोध्या के बगल बाईपास के निकट माझा बरेहटा में बसाने की योजना है। शासन की ओर से हरी झंडी दी जा चुकी है। इसके बाद ही प्रकिया में तेजी आई। नई नगरी के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा चुका है।

अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण के अधिशाषी अभियंता एमके मिश्र ने बताया कि नव्य अयोध्या प्रोजक्ट के लिए भूमि अर्जन एवं प्रस्ताव की कार्रवाई अंतिम चरण में है। नव्य अयोध्या बसाने के लिए किसी वित्तीय संस्था से मोटी धनराशि कर्ज लेना पड़ेगा। इसलिए लागत निकालना महत्वपूर्ण होगा। यही कारण है कि देश में सर्वे कराया जाएगा कि लोग इस नई नगरी में क्या-क्या चाहते हैं।

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