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अलवर मॉब लिंचिंग पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, गृहमंत्री ने फिर से याद दिलाया 1984

संसद भवन, नई दिल्ली: राजनीति नहीं होनी चाहिए, पुलिस को काम करने देना चाहिए, भीड़ द्वारा न हत्या रुक रही है और न ऐसी घटनाओं पर सवाल उठाने के बाद दिए जाने वाले ऐसे नैतिक संदेश रुक रहे हैं। इस तरह से पेश किया जा रहा है कि यह सब राजनीतिक और नफरत की सोच के दायरे से बाहर की घटना है जो कानून और व्यवस्था की समस्या है। राजस्थान के अलवर में रकबर खानउर्फ अकबर खान नाम के शख्स की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटना की गूंज मंगलवार को संसद में भी सुनाई दी। अलवर कांड का मुद्दा उठाते हुए विपक्ष ने सरकार से इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की। कांग्रेस ने मॉब लिन्चिंग की घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से जांच की मांग की। जवाब में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इस तरह की घटनाओं को लेकर गंभीर है और इसे रोकने के लिए अगर नए कानून की जरूरत हुई तो सरकार वह भी करेगी।

मौजूदा जज से कराई जाए जांच
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अलवर लिन्चिंग मामले को उठाते हुए मांग की कि मॉब लिन्चिंग की घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराई जाए।

हेट पॉलिटिक्स का मसला: CPM
सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने अलवर मॉब लिन्चिंग केस का हवाला देते हुए कहा कि भीड़ द्वारा ‘स्ट्रीट जस्टिस’ खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ 3-4 सालों से नहीं बल्कि पिछले 10-12 सालों से हो रही है। मोहम्मद सलीम ने कहा कि इस तरह की घटनाएं चाहे अफवाहों की वजह से हों, गोरक्षा के नाम पर हों, बच्चा चोरी के शक में हो…खतरनाक हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ हिंदू-मुसलमान का मामला नहीं है। स्वामी अग्निवेश तक पर हमला हो गया…त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में भी लिन्चिंग हो रही है…यह हेट पॉलिटिक्स है…देश में नफरत का माहौल बनाया जा रहा है।’

राजनीतिकरण ठीक नहीं: गृह मंत्री
विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लिन्चिंग की घटनाओं से सरकार चिंतित है और इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, ‘फिर दोहरा रहा हूं कि यह 2-4 सालों से शुरू नहीं हुई है बल्कि वर्षों से यह सिलसिला चलता आ रहा है….सबसे बड़ी लिन्चिंग की घटना 1984 में घटित हुई थी…लिन्चिंग की घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।’  गृह मंत्री ने कहा, ‘कल होम सेक्रटरी की अध्यक्षता में हाई लेवल कमिटी गठित हुई…कमिटी 4 सप्ताह में रिकमेंडेशन देगी…रिकमेंडेशन पर मेरी अध्यक्षता वाली ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स फैसला लेगी…अगर नए कानून बनाने की जरूरत होगी तो हम वह भी करेंगे।’

राज्यसभा में भी उठा लिन्चिंग का मुद्दा
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डालने की घटनाओं में करीब 88 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शांता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि यह ठीक नहीं है और सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाना चाहिए। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए और कानून बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

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