नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी को चुनाव आयोग ने झटका देते हुए लाभ के पद मामले में उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें याचिकाकर्ता से प्रतिवादियों को जिरह करने की अनुमति देने की मांग की गयी थी। आयोग ने आज लाभ के पद पर होने के कारण आप विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल और अन्य से जिरह करने की अनुमति देने की अर्जी को गैरजरूरी बताते हुये खारिज कर दिया। आयोग अब दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार लाभ के पद की परिभाषा तय करने के मामले में 23 जुलाई से अंतिम दौर की सुनवाई शुरु करेगा।
जिरह की कोई जरूरत नहीं
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत, चुनाव आयुक्तों सुनील अरोड़ा तथा अशोक लवासा ने 70 पेज के आदेश में कहा ‘‘इस मामले में याचिकाकर्ता से जिरह की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह इस मामले में जारी कार्यवाही का गवाह नहीं है। साथ ही प्रतिवादी अपनी अर्जी में दी गयी दलील के मुताबिक इस मामले में किसी गवाह को पेश किये जाने की जरूरत साबित करने में भी नाकाम रहे हैं।
अलग अलग जिरह करने की मांगी थी अनुमति
इस आधार पर आयोग ने याचिकाकर्ता से जिरह की अनुमति देने की गत 16 मई को दायर की गयी आप विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया। इसमें आप विधायकों ने पटेल के अलावा दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों से अलग अलग जिरह करने की अनुमति मांगी थी जिन्होंने विभिन्न दस्तावेजी सबूतों के आधार पर विधायकों द्वारा बतौर संसदीय सचिव सरकारी खर्च पर काम करने और वित्तीय लाभ लेने की बात कही थी।
पटेल की याचिका पर आयोग कर रहा सुनवाई
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किये गये आप के 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने के कारण विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली पटेल की याचिका पर आयोग सुनवायी कर रहा है। इस मामले में आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की आयोग पहले ही राष्ट्रपति से सिफारिश कर चुका है। आयोग की सिफारिश को एकपक्षीय बताते हुये आप विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने इस साल 23 मार्च को याचिका स्वीकार करते हुये चुनाव आयोग से आप विधायकों का भी पक्ष सुनकर लाभ के पद की परिभाषा तय करने का आदेश दिया था।