रायबरेली: देश को आजादी मिले दशकों बीत गयी, देश आगे उन्नति करता गया। उत्तर प्रदेश में कई दलों की सरकारें आयीं और गयीं। कांग्रेस, बीजेपी, बसपा, समाजवादी पार्टी सबने यहां हुकूमत चलाई। उत्तर प्रदेश का तथाकथित वीआईपी जिला रायबरेली जहां से सोनिया गांधी सांसद हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान जिले में एक विधान सभा को छोड़कर सभी विधान सभाओं में समाजवादी पार्टी के विधायक सत्तानशीं थे। उसी रायबरेली जिले एक गांव ऐसा भी है जो आज शाइनिंग इंडिया के दौर में एक सामान्य सड़क के लिेए महरूम है। सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है रायबरेली और उसी रायबरेली के डलमऊ तहसील में आने वाले बेलहनी गांव की दशकों से अधूरी पड़ी सड़क आज तक ना बन सकी। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस गांव में दौरा किया था लेकिन सड़क ना बन सकी। क्षेत्र में वर्तमान विधायक धीरेंद्र सिंह सत्तानशीं भारतीय जनता पार्टी के नुमाइंदे हैं और समस्या से रूबरु करवाने के बाद भी सड़क जस की तस है।
नहीं जाती एंबुलेंस
21वीं सदी में जब भारत विश्व की महाशक्तियों में शुमार होने को बेताब है उसी समय सड़क से महरूम यह गांव विकास के नाम पर तमाचा है। एक तरफ सरकार ने चमकदार पोस्टरों सें मंत्रालयों को पाट दिया है वहीं दिल्ली से 500 किमी की दूरी पर बसे इस गांव में रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसके परिजन किसी अनहोनी को नियति मान लेते हैं क्योंकि एंबुलेंस वाले बिना सड़क वाले इस गांव में आने से मना कर देते हैं।
सड़क बनवाने का वादाकर ले लेते हैं वोट
हर पांच साल बीतने पर जनप्रतिनिधि उसी टूटी सड़क पर चमचमाती गाड़ियों से आते हैं वोट मांगने। हर दल के जनप्रतिनिधि चुनाव के वक्त आते हैं और सड़क बनवाने का वादाकर वोट ले लेते हैं जीत भी जाते हैं। जीत के बाद जनप्रतिनिधि बेवफाई के साथ बेहाई पर भी उतर आते हैं। सड़क बनवाने के लिए ग्रामीणों सांसद, विधायक, आईजीआईआरएस पोर्टल के माध्यम से शासन स्तर पर गुहार लगाई लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात। बारिश के दिनों में हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि दुर्घटना के डर से ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देते हैं।