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6 हजार महीना देने वाले मालिक ने मजदूरों से कहा आधी सैलरी पर करो काम, जिसे नामंजूर वो छोड़ दे नौकरी

दिल्ली: लॉकडाउन ने गरीब मजदूर वर्ग की कमर किस तरह तोड़ दी है, इसका अंदाजा लगाना हो तो किसी मजदूर से बात करके पता चल जायेगा। भूखों मरने की हालत में पहुंचे ये मजदूर जोकि देश की रीढ़ हैं, आज पाई-पाई और दाने—दाने को मोहताज हो चुके हैं। पहले से ही इनका खून चूस रहे मालिकानों ने अब लॉकडाउन के दौरान की सेलरी देना तो दूर, काम करने के बदले भी पहले से तय न्यूनतम मजदूरी से भी बहुत सेलरी देने से हाथ खड़े कर दिये हैं।

यह हाल किसी एक फैक्ट्री-कंपनी का नहीं, बल्कि चौतरफा है। बड़ी तादाद में मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। ऐसी ही एक जूता-चप्पल बनाने की फैक्ट्री है लिब्रो, जिसके मालिक ने आज मजदूरों से कह दिया है कि जिसको काम करना है करे, क्योंकि आगे से अब आधी तनख्वाह में काम करना पड़ेगा।’

यह फैक्ट्री पड़ती है राजधानी दिल्ली के नरेला के इंडस्ट्रियल एरिया में। यह वही दिल्ली है जहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा करते हैं कि दिल्ली में हर किसी को मिनिमम वेज यानी न्यूनतम 14845 रुपये सेलरी मिल रही है।

मगर इस फैक्ट्री का मालिक सुनील लगभग 10 साल से उसके वहां काम कर रहे मजदूरों को 6 हजार सेलरी यानी मिनिमम वेज का तीसरा हिस्सा पहले से ही मजदूरी 12 घंटे काम के बदले देता था। इतना ही नहीं इसने 22 मार्च के बाद जितने दिन लॉकडाउन रहा, मजदूरों को एक भी पैसा नहीं दिया। मजदूरों का 22 मार्च तक का हिसाब कर दिया गया।

फैक्ट्री में काम करने वाली एक महिला रीना (बदला हुआ नाम) बताती हैं, ‘जब ​देशभर में पहली बार 1 दिन का लॉकडाउन घोषित हुआ यानी 22 मार्च को, हमें मालिक ने तभी तक का पैसा दिया है। अब जब दोबारा फैक्ट्री खुली है तो हमसे कहा जा रहा है कि हमें आधी ही सेलरी दी जायेगी, जिसे काम करना है करे नहीं तो अपने घर बैठ सकता है। मालिक ने कहा अहसान मानो कि यह फैक्ट्री भी हमने तुम लोगों के बीवी—बच्चों के बारे में सोचकर खोली है, नहीं तो आगे 2 महीने और हम इसे बंद रख सकते थे।’

इस मामले में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अशोक अग्रवाल कहते हैं, ‘वाह रे मेरी दिल्ली! नरेला दिल्ली की एक चप्पल फैक्ट्री मालिक ने आज अपने सभी मज़दूरों को बोला जिसको काम करना है करे, अब आधी तनखा पर काम करना पड़ेगा। मिनिमम वेज है 14845 प्रतिमाह और तनख्वाह मिल रही है 6000 प्रतिमाह, जो अब मिलेगी 3000 रुपये प्रतिमाह।’

द फ्रीडम स्टॉफ
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