नई दिल्ली, बृजेश कुमार: सामाजिक न्याय और समावेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संगठन चेतनालय NGO ने अपनी 55वीं वर्षगांठ के अवसर पर “चेतनालय जयंती महोत्सव 2025” का भव्य आयोजन डायोसेसन कम्युनिटी सेंटर, सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल, नई दिल्ली में किया। इस विशेष अवसर पर चेतनालय के अध्यक्ष डॉ. अनिल जे. टी. कौटो, उपाध्यक्ष दीपक वी. टाउरो, जुआन पाब्लो सेरिलोस हर्नांदेज़, काउंसलर, अपोस्टोलिक नूंशियो, भारत और विन्सेंट डी’सूज़ा, विकार जनरल, दिल्ली आर्चडायोसीस और देश के कई राज्यों में निवेशक संयोजक की भूमिका निभाने वाले और राजनीतिज्ञ संजीव राय सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
इस महोत्सव में चेतनालय द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक पहलों को दर्शाने के लिए सात विशेष स्टॉल लगाए गए, जिनमें सुंदरनगरी से दिव्यांग पुनर्वास मॉडल, कल्याणपुरी से वरिष्ठ नागरिकों के लिए “शेयर एंड केयर” पहल, मुकुंदपुर से वित्तीय समावेशन एवं महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, जहांगीरपुरी से प्रवासी समुदाय की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा और अपसाइक्लिंग जूट उत्पाद, संगम विहार से सामुदायिक नेतृत्व में जलवायु संरक्षण अभियान, और शास्त्री पार्क से बच्चों एवं युवाओं के कौशल विकास व रोज़गार उन्मुख पहल को प्रदर्शित किया गया। इसके अतिरिक्त, एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें लोक नृत्य, प्रेरणादायक नाटक और संगीतमय प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महोत्सव के दौरान चेतनालय की समाज सेवा में आधी सदी से अधिक की उपलब्धियों को रेखांकित करने वाली एक विशेष पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. अनिल जे. टी. कौटो ने कहा, “चेतनालय का उद्देश्य केवल सेवा करना नहीं, बल्कि समाज के हाशिए पर मौजूद समुदायों को सशक्त बनाना है। यह महोत्सव हमारी प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करता है और हमें सामाजिक न्याय की दिशा में नए आयाम स्थापित करने की प्रेरणा देता है।” कार्यक्रम के समापन पर सभी अतिथियों ने स्टॉलों का अवलोकन किया और समुदाय आधारित पहलों की सराहना की। इस महोत्सव ने चेतनालय की 55 वर्षों की समाज सेवा यात्रा को सम्मानित करते हुए भविष्य के उद्देश्यों की ओर एक नई प्रतिबद्धता स्थापित की।
कार्यक्रम को खास बनाने में चेतनालय की समस्त टीम की भूमिका सराहनीय रही। चेतनालय के वरिष्ठ सहयोगी हिमांशु राय अपनी टीम के साथ 2 महीना पहले से कार्यक्रम का खाका तैयार कर रहे थे, उसी का नतीजा था कि समस्त कार्यक्रम अपने उद्देश्यों को पूर्ण करते हुए सम्पन्न हुआ।