गुजरात के सूरत में एक बार फिर हजारों की संख्या में मजदूर सड़कों पर उतर आए हैं। पैसे, नौकरी की तंगी और खाने-पीने की अनिश्चितता के चलते प्रवासी मजदूर अपने घर जाने की जिद पर अड़े हैं। इसके लिए मजदूरों ने सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया।
गुजरात पुलिस ने मजदूरों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों गुजरात सरकार मजदूरों का विश्वास नहीं जीत पा रही? जिसकी वजह से लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
यह एक सप्ताह में दूसरा मामला है जब सूरत में हजारों की संख्या में मजदूर एकत्रित हुए हैं। जबकि दिल्ली और मुंबई में मजदूर एकत्रित तो हुए लेकिन वहां की सरकारों ने मजदूरों को भरोसे में लिया। इसके बाद मजदूर सड़कों पर अभी तक एक साथ इतनी बड़ी तादात में नहीं आए।
दरअसल, सूरत के हजीरा इंडस्ट्रियल इलाके में मजदूरों ने शनिवार की सुबह प्रदर्शन किया। सूरत के जॉइंट कमिश्नर डीएन पटेल ने कहा कि, “सुबह करीब 8 बजे 500 से हजार लोग सड़क पर इकट्ठा हो गए और घर जाने की मांग करने लगे। उचित बल प्रयोग करके 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात की स्थिति भयावह है। वहां कोरोना ने बड़ी तेजी से अपने पैर पसारने शुरू कर दिया है। इसलिए गुजरात सरकार ने केरल और दिल्ली सरकार से डॉक्टरों की टीम मांगी है। अहमदाबाद और सूरत की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है।