रायबरेली में ‘विधायक जी’ के नाम से मशहूर अखिलेश सिंह नहीं रहे, लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया है। रायबरेली सदर विधानसभा सीट से उनकी बेटी अदिति सिंह कांग्रेस की विधायक हैं। पिछले लंबे वक्त से अखिलेश बीमार चल रहे थे और यही कारण था कि उन्होंने अपनी बेटी को राजनीति के मैदान में उतारा था।
उत्तरप्रदेश की राजनीति में अखिलेश सिंह रॉबिनहुड के नाम से मशहूर थे, वही उनके कई साथी विधायक गांधी जी के नाम से उन्हें पुकारते थे । उनके दोस्त और दुश्मनो की लंबी सूची है, उन पर करीब 45 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। इसके बावजूद जनता का एक बड़ा वर्ग उनमें अपने मसीहा की छवि देखता था, अपने रणनीतिक कौशल से जनपद की राजनीति में वह सदर विधानसभा सीट पर नेहरू परीवार पर भी भारी पड़े। श्रीमती सोनिया गांधी व प्रियंका वाड्रा भी उन्हें चुनाव में घेरने के बाद भी अपने कांग्रेसी उम्मीदवारों की जमानत बचाने में असमर्थ हुई, जनपद में उनके चाहने वालो का बड़ा वर्ग उनके पीछे उनकी निंदा भर्त्सना बर्दास्त नही करता था। लोग उन्हें बेइंतहा प्यार करते थे। चर्चित सैयद मोदी हत्याकांड में भी अखिलेश सिंह का नाम आया बाद में वह न्यायालय से बरी कर दिये गए। उनके निधन से शहर हो या ग्रामीण इलाके हर वर्ग में उदासी, एक अपने के चले जाने का दर्द, आंखों में दिखाई दे रहे आसुओ से महसूस किया गया।
राजनीतिक सफर कांग्रेस से प्रारम्भ
अखिलेश सिंह ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से प्रारम्भ किया, वह पहला चुनाव उसके सिम्बल पर जीते ठेकेदारी व रंगदारी के विवाद में चर्चित राकेश पांडेय हत्याकांड के आरोप उन पर लगने के बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया। उसके बाद लगातार दो चुनावो में अखिलेश सिंह को हराने के लिए कांग्रेस व सोनिया परिवार ने खूब जोर लगाया। सोनिया गांधी और प्रियंका ने घर-घर घूम घूमकर वोट मांगे, लेकिन अखिलेश सिंह की जीत का अंतर भी वह नही घटा सकी। 2007 में विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांच में से चार सीट कांग्रेस ले गई, लेकिन रायबरेली सदर में अखिलेश सिंह की जड़े इतनी मजबूत थी कि वह बड़े अंतर से निर्दलीय चुनाव जीते। 2016 में उन्हें कांग्रेस में वापस लाने के प्रयास हुए लेकिन वह कांग्रेस में नही गए। उनकी बेटी आदिति सिंह प्रियंका के विशेष आग्रह पर शामिल होकर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर अपने पिता की सीट से विधायक बनी, जिसके बाद अखिलेश सिंह की राजनीतिक विरासत बेटी के हाथों में आ गयी।
हर तरह से मदद के लिये हमेशा तैयार
सदर विधायक अखिलेश सिंह का हर गली मोहल्ले में व्यक्तिगत नेटवर्क के साथ जनता से सीधा संपर्क और संवाद था। वह समय समय पर हर तरह से मदद के लिये तैयार रहते थे , जिसके बल पर उन्हें राजनीति में कभी पराजय का सामना नही करना पड़ा। सच में वह राजनीति के अपराजेय योद्धा थे। जिन्हें हराने की हसरत उनके चिरविरोधियो के दिलो में रह गयी, जनपद की राजनीति का अदभुत सितारा अपने शत्रुओं राजनीतिक विरोधियों से अकेले लड़ता और जनता की पीड़ा हरता रहा जबकि कांग्रेस, सपा, भाजपा व बसपा के कद्दावर नेता एक साथ समूह बनाकर उनकी राजनीति को खत्म करने का षड्यंत्र लगातार रचते थे । उन्होंने किसी की परवाह किये बिना अपनी इच्छानुसार जनता की पूंजी के बल पर आयाम पर आयाम स्थापित किये।
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का व्यापक प्रभाव
लगभग चार दर्जन मुकदमो व माफिया की छवि के बाद भी वह समाज के सभी वर्गों के चहेते थे। उनके जीते जी सब ठीक है, कहने वाली रायबरेली को इस बात का भी गर्व है कि सदर विधायक जी के नाम से चर्चित अखिलेश सिंह के जीवन पर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का व्यापक प्रभाव था वह सुभाष बाबू के जीवन से जुड़े लेखों पुस्तको का बार बार अध्यन करते थे। साथी विधायको से भी नेता जी के साथ सरदार भगत सिंह व स्वामी विवेकानंद के साहित्य व जीवनियों को पढ़ने के लिये प्रेरित करते थे और कहते थे कि देश के पास गर्व करने लायक तीन अनमोल हीरे है, जिनकी जीवनी प्रेरणादायक है, कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने नेता जी के पौत्र को जनपद में विशाल रैली आयोजित कर अतिथि के रूप में सम्मानित किया था और नेता जी की संदिगध मौत के मामले की जांच की मांग की थी।
370 हटाने का किया समर्थन
अपनी मृत्यु से 15 दिन पूर्व अखिलेश सिंह ने कहा था कि उन्होंने बचपन मे सपना देखा था कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाए। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। अनुच्छेद 370 पंडित जवाहरलाल नेहरू की जानबूझकर की गई ऐतिहासिक भूल थी। यह एक गलत फैसला था, महाराजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में पूर्ण विलय किया था। अनुच्छेद 370 व 35 ए हटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व ग्रह मंत्री अमित शाह को बधाई देकर कहा था देश को विभाजित करने वाले अनुच्छेद को हटाकर देश को एक कर दिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि देश पहले है, उसे देशद्रोह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए कांग्रेस ने देश को बंटवाया कांग्रेस की भाषा पाकिस्तान की भाषा है। आज पूरे देश में जश्न है, इस जश्न को कांग्रेस किरकिरा करने के पाप से बचे, अपने विचार, अपने कहे और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले योद्धा ने मिल के पत्थर स्थापित किये। अब देखना है उनकी राजनीतिक वारिस उनकी पुत्री आदिति सिंह अपने पिता की स्वर्णिम विरासत को कितना आगे बढाती है।
रायबरेली में केवल अखिलेश सिंह का ही चलता रहा सिक्का
रायबरेली वैसे तो कांग्रेस और सोनिया गांधी के कारण जाना जाता है लेकिन जब बात रायबरेली सदर की हो तो यहां केवल और केवल अखिलेश सिंह का ही सिक्का चलता रहा है। रायबरेली लखनऊ से सटा है और वीआईपी इलाका है। 1951 में फिरोज़ गांधी यहां से चुनाव जीते थे, 1967 में इंदिरा. बीच में थोड़ा उठापटक जरूर हुई लेकिन 2004 से अभी तक सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं।