आशुतोष गुप्ता की रिपोर्ट: रायबरेली की धर्म नगरी डलमऊ में गंगा तट के पास रायबरेली पेट्रोलियम एसोसिएशन, पृथ्वी संरक्षण और नगर पंचायत डलमऊ के संयुक्त प्रयास से 100 से अधिक वृक्षों का रोपण हुआ।
पृथ्वी संरक्षण के अध्यक्ष राजेंद्र कहते हैं कि, जब जनसंख्या बढ़ रही है और प्रकृति अपने सीमित संसाधनों के बावजूद स्वयं को मिटाकर अपनी सबसे बुद्धिमान रचना मनुष्य को बचाने में लगी है तो कहीं इस बुद्धियुक्त प्राणी का भी कर्तव्य है कि वह स्वयं के संरक्षण के लिये उठ खड़ा हो और इसके लिये अपने ही भूजल संसाधनों को बढ़ाने में प्रकृति से सहयोग करे। ऐसा भी नहीं है कि प्राकृतिक-वर्षा-जल को भूमिगत स्रोतों तक पहुँचाना कठिन कार्य है।
नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश कहते हैं, दुनिया में पानी का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। दुनिया विकास कर रही है। औद्योगीकरण की राह पर चल रही है। पर साफ पानी मिलना कठिन हो रहा है। दुनिया भर में साफ पानी की अनुपलब्धता के चलते ही जलजनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं।
पेट्रोलियम एसोसिशन के अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा कहते हैं, भूजल पेड़-पौधों की जड़ों, नदी, झरनों और ताल-तलैयों आदि के द्वारा पहले धरातल और फिर वायुमण्डल तक चला जाता है, जहाँ से वह वापस वर्षा के माध्यम से इन्हीं स्रोतों तक पहुँचता है। समुद्र के खारे पानी और भूमण्डल के ताजे पानी के बीच भी नदियों और वर्षा के माध्यम से आदान-प्रदान चलता रहता है। इस प्रकार के सम्पूर्ण आवागमन और आदान-प्रदान से जल की गतियों का जो चक्र बनता है, वही जलचक्र है।
इस मौक़े पर विनीत त्रिवेदी ,संदीप मिश्रा, जूबी अली, घनश्याम जायसवाल, राम गोपाल वैश्य सहित एसोसिएशन के सदस्यों के अलावा सैकड़ों स्थानीय लोगों ने भागीदारी करते हुए पर्यावरण को बचाने और जल संरक्षण का संकल्प लिया।