रामपुर: लोकसभा चुनाव में रामपुर संसदीय सीट के मतदाताओं ने इस बार भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा को नकार दिया और गठबंधन से सपा प्रत्याशी मोहम्मद आजम खां पर भरोसा जताया। रिकॉर्ड वोटो की बारिश की। आजम ने जयाप्रदा को 110152 मतों से पराजित किया और जीत का सेहरा अपने सिर पर बांध लिया। जयाप्रदा को 452035 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी संजय कपूर को 35654 वोट मिले। इधर, आजम की जीत की घोषणा होते ही कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। कई जगह मिठाइयां बांटी गईं तो कहीं पटाखे छोड़े गए।
आजादी के बाद से ही सुर्खियों में रही है रामपुर सीट
रामपुर लोकसभा सीट आजादी के बाद से ही सुर्खियों में रही है। सबसे पहले 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के टिकट पर महान क्रांतिकारी मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रत्याशी थे। वह रामपुर के पहले सांसद चुने गए और देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी रामपुर से सांसद चुने जा चुके हैं। वह देश के पहले ऐसे नेता है जो भाजपा के टिकट पर सबसे पहले लोकसभा सदस्य चुने गए । उनसे पहले कोई भी नेता भाजपा के टिकट पर सांसद नहीं बन सका था। रामपुर लोकसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य है । यहां करीब 52 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इस कारण यहां ज्यादातर मुस्लिम सांसद ही बनते रहे हैं । इनके अलावा केवल राजेंद्र शर्मा, जयप्रदा और डॉक्टर नेपाल सिंह ही यहां से सांसद बन सके। जयप्रदा 2004 के चुनाव में यहां सपा के टिकट पर पहली बार मैदान में उतरीं और सांसद बनी ।
रामपुर शहर से नौ बार विधायक
इसके बाद 2009 में भी वह सपा के टिकट पर रामपुर से ही सांसद चुनी गई, लेकिन इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान उनके मुकाबले में हैं। वह रामपुर शहर से नौ बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह राज्यसभा सदस्य रहने के साथ ही प्रदेश सरकार में चार बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं । इस चुनाव में आजम खान विवादित बयानों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहे। चुनाव आयोग ने दो बार उन पर पाबंदी लगाई, जबकि आचार संहिता उल्लंघन और आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में प्रशासन ने उनके खिलाफ एक माह के अंदर 14 मुकदमे दर्ज कराएं ।