चंडीगढ़। सियासत का चेहरा ही ऐसा है जहां कोई किसी का नहीं होता सालों पुराने रिश्ते हो या खून के रिश्ते पल भर में बिखर जाते हैं मुलायम सिंह यादव के परिवार का तमाशा दुनिया ने देखा आज परिवार और पार्टी दोनों बिखर चुके हैं वैसा ही अब हरियाणा में होने जा रहा है इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में चल रही वर्चस्व की लड़ाई का पटाक्षेप करते हुए पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने हिसार के सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला और दिग्विजय सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला ने शुक्रवार को बड़े बेटे अजय चौटाला के दोनों बेटों को तुरंत प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। उन्होंने दुष्यंत चौटाला को संसद में पार्टी की संसदीय समिति के नेतृत्व से भी हटा दिया है।
दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह पर 7 अक्टूबर को गोहाना में आयोजित पूर्व उपप्रधानमंत्री स्वर्गीय देवी लाल की जयंती उत्सव के दौरान अनुशासनहीनता, हुड़दंगबाजी और पार्टी नेतृत्व के विरुद्ध असंतोष फैलाने वाली नारेबाजी के आरोप लगाए गए थे। इनेलो सुप्रीमो ने अपने निर्देशों में साफ किया कि वास्तव में इस मामले में उन्हें किसी भी दूसरे प्रमाण की जरूरत नहीं थी, क्योंकि वह खुद उस दौरान मौके पर उपस्थित थे। उन्होंने अनुशासनहीनता और हुड़दंगबाजी की घटना अपनी आंखों से देखी थी कि कैसे उनके भाषण में भी लगातार व्यवधान डाला गया। इसके बावजूद उन्होंने इस पूरे मामले को अनुशासन समिति को सौंपा था। समिति ने दोनों भाइयों पर आरोपों को सही करार दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह उनके अपने परिवार के ही सदस्य थे, इसलिए उन पर कोई कार्रवाई करना उनके लिए आसान नहीं था। किंतु वे जीवनपर्यंत जननायक चौधरी देवीलाल के सिद्धांतों और आदर्शों पर चलते हुए पार्टी को व्यक्ति विशेष या परिवार के सदस्य से बड़ी मानते हैं। वह इस मामले में अनुशासन कार्रवाई समिति की सिफारिशों से सहमत हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी कार्यालय को निष्कासन के फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में आगे दुष्यंत और दिग्विजय क्या क़दम उठाते हैं ये आगे मालूम चलेगा फ़िलहाल पार्टी की युवा इकाई से इस्तीफ़ों की ख़बर है और दोनों ने अपनी सफ़ाई में किसी भी अनुशासनहीनता से इंकार किया है और इस मामले में अपने पिता अजय सिंह चौटाला से मशविरा करने की बात कही है लेकिन इन सब के बाद जल्द ही किसी नये दल के गठन से भी इंकार नहीं किया जा सकता।