आर्थिक सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए औद्योगिक मोर्चे से एक और बुरी खबर आई है। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर घटकर 4.3 फीसदी रही, जो एक साल पहले इसी महीने में यह 6.5 प्रतिशत थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर मापी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर में यह गिरावट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण आई है।
वहीं, खाद्य पदार्थों के महंगा होने की वजह से अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.21 प्रतिशत रही, जो 10 महीने का उच्च स्तर है। पिछले माह जुलाई में खुदरा महंगाई 3.15 फीसदी थी। हालांकि, महंगाई दर का आंकड़ा अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय लक्ष्य के दायरे में ही है। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में सीपीआई आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 2.99 फीसदी रही, जो जुलाई में 2.36 फीसदी रही थी। अगस्त 2018 में खुदरा महंगाई दर 3.69 फीसदी रही थी। केंद्र सरकार ने आरबीआई से महंगाई दर लगभग चार फीसदी के दायरे में रखने को कहा है।
इस साल जून की यदि बात की जाए तो औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 1.2 फीसदी रही, इस लिहाज से जुलाई में यह बढ़कर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले मई में यह 4.6 फीसदी दर्ज की गई। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 3.3 फीसदी रही जो, 2018- 19 की इसी इसी अवधि में 5.4 फीसदी रही थी।
खनन क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में 4.9 फीसदी रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 3.4 फीसदी रही थी। इसी अवधि में बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 4.8 फीसदी रही है, जो जुलाई 2018 में 6.6 फीसदी रही थी।
आईआईपी में सुस्ती वजह इसमें शामिल विनिर्माण क्षेत्र की नरमी रही। जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 4.2 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 7 फीसदी रही थी। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में जुलाई महीने में 7.1 फीसदी की कमी देखी गई, जबकि पिछले साल जुलाई में इसमें 2.3 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी।