देश

महाराष्ट्र: पायल ताडवी की मौत इस बात की गवाह है कि पढ़ा-लिखा समाज और भी है जातिवादी

नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे है साथ ही सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहें है। मगर इस बीच कुछ हुआ जिसे देख यही कहा जा सकता है जातिवाद का ज़हर समाज से ख़त्म नहीं हो रहा है। ताजा मामला महाराष्ट्र का है जहां एक लड़की को सिर्फ इसलिए आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। क्योंकि उसकी जाति दुनिया की नज़र में कथित तौर पर नीची थी।

ऐसा नहीं है की ये घटना गाँव में रहने वाले कट्टर जातिवादी लोगो के कारण घटी। बल्कि एक पढ़े लिखे वर्ग और इंसान को इंसान समझने वाले लोगो ने उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली पायल को मजबूर किया की वो मौत की तरफ जाने को मजबूर कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो डॉ पायल ने पश्चिमी महाराष्ट्र के मीराज-सांगली से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। पिछले ही साल उन्होंने अपनी उन्होंने पीजी की पढ़ाई के लिए टोपीवाला मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था। उनका ये एडमिशन आरक्षण से हुआ और इस जातिवादी समाज में यही बात उनकी मौत की वजह बनी।

आरोप है कि मेडिकल कॉलेज की तीन वरिष्ठ रेज़िडेंट डॉक्टरों ने उनके ख़िलाफ़ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया और उनकी जाति को आधार बनाकर उनका उत्पीड़न किया। परिवार का कहना है कि उत्पीड़न से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।

इस मामले में घटना के अगले ही दिन एंटी रैगिंग समिति ने नियमानुसार जांच शुरू कर दी गई। समिति ने 25 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं जिसके आधार पर आईपीसी की धारा 306/34 के तहत तीन महिला डॉक्टरों के ख़िलाफ़ अग्रीपाड़ा थाने में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। इस मुक़दमे में सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून की कुछ धाराएं भी लगाई गई हैं।

पायल ने 22 मई को आत्महत्या कर ली हालाकिं उनकी माँ का कहना है की उन्होंने इस मामले में कॉलेज प्रशासन से पहले शिकायत की गई थी। मगर कॉलेज ऐसा मानने से इनकार कर रहा है डीन का कहना है कि इस विषय में कॉलेज से जुड़े किसी भी व्यक्ति को न ही लिखित में और न ही मौखिक रूप से कोई शिकायत दी गई थी।

पायल की माँ का कहना है कि उन्होंने बीवाईएल नायर अस्पताल अपना कैंसर का इलाज करवाया था जहां उन्होंने कथित तौर पर पायल को उत्पीड़न को स्वयं भी देखा था। उन्होंने कहा कि मैं उस समय भी शिकायत दर्ज कराने जा रही थी। लेकिन पायल ने मुझे रोक दिया। पायल को डर था कि अगर शिकायत की तो उसका और अधिक उत्पीड़न किया जाएगा। उसके कहने पर मैंने अपने आप को रोक लिया।

इसे लेकर सोशल मीडिया पर अब लोग कई तरह सख्त एक्शन की मांग कर रहें है। साथ ही #जस्टिसफॉरपायल भी लिखते हुए नज़र आ रहें है।

द फ्रीडम स्टॉफ
पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें।
https://thefreedomsnews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *