Saurabh Arora, MP Bureau: कांग्रेस उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए तैयारी कर रही है। कांग्रेस से बागी होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 पूर्व विधायकों को हराने के लिए कांग्रेस द्वारा दोहरी रणनीति तैयार की जा रही है। पहली रणनीति के तहत बागी 22 नेताओं की कुंडली तैयार करवाई जा रही है, जिसमें उनके राजनीतिक कैरियर, अचानक बढ़ी कमाई और आपराधिक मामलों की जानकारी जुटाई जा रही है। दूसरी रणनीति के तहत कांग्रेस की नजर अब उन नेताओं पर है जो उपचुनावों में टिकट न मिलने पर भाजपा से नाराज होंगे। इसकी वजह है पिछले चुनाव में हार चुके नेताओं का भाजपा टिकट काटकर ही सिंधिया समर्थकों को देगी। भाजपा के टिकट के दावेदारों के सामने मुश्किल ये है कि जिनसे वे पिछला चुनाव हारे अब उन्हीं के लिए काम करना पड़ेगा। यही वजह है कि भाजपा नेताओं में असंतोष बढऩा तय माना जा रहा है। कांग्रेस इन्हें अपने पाले में लाकर टिकट देने की तैयारी कर रही है। अगर कांग्रेस का यह दांव सफल रहता है तो फिर भाजपा की राह मुश्किल हो जाएगी।
यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि उपचुनाव होने दीजिए, सूरत बदल जाएगी। दरअसल प्रदेश की जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें एक कांग्रेस और एक भाजपा के विधायक के निधन से खाली हुई सीट है। 22 सीट बागी विधायकों के कारण खाली हुई है। यह वह सीट है जिस पर 22 विधायक भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लडक़र जीते थे। कांग्रेस का कहना है कि इन 22 सीटों पर भाजपा के विधायकी का चुनाव लड़ चुके नेता ही बागियों की हार का रास्ता तैयार करेंगे। कांग्रेस का मानना है कि उपचुनाव के बाद एक बार फिर स्थिति पलट सकती है।
प्रदेश में सरकार बदल गई है लेकिन सियासी हालात कुछ इसी तरह के हैं जैसे पिछली कांग्रेस सरकार के समय थे। भाजपा ने भले ही हाल की परिस्थिति में विश्वास मत हासिल कर लिया हो लेकिन बहुमत से वो अभी बहुत दूर है। भाजपा को भी कांग्रेस की तरह अब बार-बार अपने विधायकों की गिनती करनी पड़ेगी। सपा के एक और बसपा के दो विधायकों ने अब भाजपा का साथ दिया है लेकिन इतनी फितरत जहां दम वहां हम की रही है। कांग्रेस के साथ अगले जन्म तक खड़े होने की बात करने वाले ये विधायक सरकार बदलते ही बदल गए हैं। अब ये भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं। वहीं भाजपा के कुछ विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल की निष्ठा भी हमेशा सवालों के घेरे में रही है। भाजपा को इनसे भी सावधान रहना होगा।
कांग्रेस की नजर होने वाले 24 विधानसभा उपचुनावों में से 17 सीटों की जीत पर है। कांग्रेस चाहती है कि यदि उसे 17 सीटें मिल जाएंगी तो वो बहुमत का जादूई आंकड़ा पा लेगी। कांग्रेस को लगता है कि इन सीटों पर जीत के बाद वो फिर से सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन पा लेगी। कांग्रेस के 92, सपा के एक, बसपा के दो और चार निर्दलीय विधायक भी सरकार बनाने में सहायक होंगे।
सिंधिया समर्थकों की संपत्ति बढऩे की बात
कांग्रेस सरकार में सवा साल तक कैबिनेट मंत्री रहे सिंधिया समर्थकों की संपत्ति बढऩे की बात यदि कांग्रेस करेगी तो उस पर भी सवाल पैदा होंगे। जनता के सामने ये भी तथ्य सामने आएंगे कि कांग्रेस सरकार में ही तो इन नेताओं ने कमाई की है। और यदि इनकी संपत्ति अचानक से बढ़ी है तो फिर सरकार रहते ही इस पर नियंत्रण क्यों नहीं किया गया। इन सवालों के जवाब भी कांग्रेस को देने होंगे।