एक तरफ जहां दिल्ली लखनऊ तेजस एक्सप्रेस के तीन घंटे विलंब होने पर यात्रियों को 1.62 लाख रुपये हर्जाना दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक आरटीआई में ट्रेनों के विलंब होने से ही जुड़ा एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान 18 प्रतिशत राजधानी रेलगाड़ियां और नौ प्रतिशत शताब्दी एक्सप्रेस देरी से चलीं। एक आरटीआई से यह जानकारी मिली। अप्रैल से सितंबर 2019 के दौरान 23 प्रतिशत राजधानी रेलगाड़ियां और 13 प्रतिशत शताब्दी रेलगाड़ियां देरी से चलीं, जबकि इस दौरान 44 प्रतिशत गरीब रथ एक्सप्रेस और 53 प्रतिशत सुविधा एक्सप्रेस रेलगाड़ियां देरी से चलीं।
71% ट्रेनें समय पर चलीं
इस वित्त वर्ष में सितंबर तक रेलवे ने अपनी मेल एक्सप्रेस और यात्री गाड़ियों के लिए क्रमश: 74 प्रतिशत और 71 प्रतिशत समयबद्धता दर्ज की। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में भोपाल स्थित कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौर ने रेलवे से 2016-2017 से लेकर वित्त वर्ष 2019-20 में सितंबर तक रेलगाड़ियों की समयबद्धता के बारे में पूछा था।
आंकड़ों के मुताबिक, गरीब रथ गाड़ियों की समयबद्धता में सुधार हुआ है, जबकि सुविधा रेलगाड़ियों की समयबद्धता में काफी कमी आई है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सभी जोनल रेलवे को निर्देश दिया है कि रेलगाड़ियों को ‘अधिकतम स्वीकृत गति’ से चलाया जाए।
बता दें कि रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी की तरफ से चलाई जा रही पहली निजी ट्रेन दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस बीते दिनों तीन घंटे की विलंब से अपने गंतव्य पर पहुंची थी, जिसके कारण यात्रियों को 1.62 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ रहा है।