राजनीतिक रणनीतिकार व पीके के नाम से फेमस प्रशांत किशोर ने वहां की सीएम ममता बनर्जी से लंबी मुलाकात की। कहा जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में जगनमोहन को सफलता दिलाने के बाद अब वे ममता बनर्जी के साथ काम करने को तैयार हैं। अचानक हुए इस घटनाक्रम से बिहार में सियासत तेज हो गई है। अभी प्रशांत किशोर एनडीए में शामिल जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं, जबकि ममता बनर्जी एनडीए के घोर विरोधी हैं। वहीं बिहार के राजनीतिक गलियारे में यह भी कहा जा रहा है कि पीके जल्द ही जदयू को बाय-बाय कह सकते हैं।
दरअसल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता में बनाए रखने का कांट्रैक्ट लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जदयू से बाहर निकलने का रास्ता बना लिया है। वे जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। अंदरूनी विवाद के कारण पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे हैं। अब उनका जदयू में रहना इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में ममता का सीधा मुकाबला भाजपा से है। जदयू के लिए भी असहज स्थिति बन सकती है कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस के जरिए वहां भाजपा से सीधा मुकाबला करेंगे।
खबर है कि दोनों नेताओं की मुलाकात तय हुआ कि पीके की एजेंसी आइपैक पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल की जीत के लिए रणनीति बनाएगी। वहां 2021 में विधानसभा का चुनाव होना है। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में तृणमूल और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। भाजपा के सांसदों की संख्या दो से 18 पर पहुंच गई है। भाजपा की रणनीति पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ चल रही है।