देश में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच कई अध्ययनों में चेताया गया है कि यह वायरस कई सतहों पर अलग-अलग समय तक जिंदा रह सकता है। यहां तक कि दिनभर हमारे साथ रहने वाला मोबाइल फोन इसे फैलाने में सबसे बड़ा वाहक साबित हो सकता है। इसी वजह से डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है। छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित एम्स के डॉक्टरों ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए अस्पताल में मोबाइल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की मांग तक की है।
बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख में डॉक्टरों ने कहा कि मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट “उच्च जोखिम” वाली सतह होती है जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है। भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों। अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे में अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। यह लेख समुदाय एवं परिवार चिकित्सा विभाग के डॉ. विनीत कुमार पाठक, डॉ. सुनील कुमार पाणिग्रही, डॉ. एम मोहन कुमार, डॉ. उत्सव राज और डॉ. करपागा प्रिया पी ने लिखा है।
WHO ने भी इस खतरे को किया नजरअंदाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सीडीसी जैसे विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों की तरफ से कई महत्वपूर्ण दिशानिर्देश हैं। इनमें बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के कई उपाय बताए गए हैं। मगर अध्ययन में यह बात दर्शायी गई है कि इन दिशानिर्देशों में भी फोन के इस्तेमाल का कोई जिक्र नहीं है। डब्ल्यूएचओ के संक्रमण नियंत्रण एवं रोकथाम दिशानिर्देश में भी हाथ धोने का जिक्र है, लेकिन मोबाइल पर कुछ नहीं कहा गया है।
सिर्फ 10 फीसदी ही मोबाइल साफ करते हैं
पिछले महीने 22 अप्रैल को प्रकाशित लेख के मुताबिक भारत में 100 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सिर्फ 10 फीसदी ही साफ करते हैं। डॉक्टर विनीत पाठक का कहना है कि सबसे सुरक्षित तरीका यह मानकर चलना है कि आपका फोन आपके हाथ का ही विस्तार है, इसलिए याद रखिए कि आपके फोन में जो है वह आपके हाथ पर हस्तांतरित हो रहा है
चेहरे के संपर्क के मामले में दूसरे नंबर पर मोबाइल
प्रकाशित लेख के मुताबिक स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में चेहरे, नाक और आंखों के सीधे संपर्क में आने की वजह से मोबाइल फोन शायद मास्क, कैप और चश्मों के बाद दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि अन्य तीन की तरह मोबाइल को धोया नहीं जा सकता, इसलिए उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। मोबाइल फोन की वजह से हाथों के साफ होने के भी बहुत मायने नहीं रह जाते…इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मोबाइल रोगजनक विषाणुओं के लिए संभावित वाहक हैं।
कई कामों के लिए फोन का इस्तेमाल
अध्ययन के मुताबिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में फोन का इस्तेमाल अन्य कर्मियों से संपर्क व संवाद के लिए, हालिया चिकित्सा दिशानिर्देशों, दवाओं के शोधों, दवाओं के दुष्प्रभावों और विपरीत परिस्थितियों, टेलीमेडिसिन अप्वाइंटमेंट और मरीजों के पूर्व इतिहास पर नजर रखने के लिए किया जाता है।