रायबरेली से सुशांत त्रिपाठी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ से पहले गंगा में गिरने वाले सभी नालों को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया था। लेकिन कम जलस्तर व नालों के दूषित पानी के कारण गंगा का जल दूषित होता जा रहा है। जिसका असर मछलियों पर दिखने लगा है। डलमऊ में 11 स्थानों पर गंदे नाले गंगा को दूषित कर रहे हैं। नालों को रोकने के प्रयास कागजों तक ही सीमित है।
आचमन करने योग्य नहीं जल
डलमऊ में गंगा का पानी नहाने की तो दूर आचमन करने योग्य नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सप्ताह में दो बार नालों के पानी का सैंपल भरकर जांच के लिए भेजते हैं। नालों का पानी जहां गंगा में गिर रहा है। वहां फेना व अन्य दूषित पदार्थ सहज देखे जा सकते हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण की कोई फिक्र नहीं है। यदि ऐसे ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब गंगा जलीय जीवों से विहीन हो जाएंगी। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण गंगा की गोद में अटखेलियां करने वाले जलीय जीवों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गंगा में मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है। बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने कहा कि गंगा में जल बहुत कम हो गया है, जो चिंता का विषय है। सनातन धर्म में गंगा का विशेष महत्व है। इसलिए सरकार को गंगा में शीघ्र पानी छोड़वाने के प्रयास करने चाहिए।
SDM ने तलब की रिपोर्ट
उपजिलाधिकारी सविता यादव ने रविवार को मत्स्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे मछलियों के मरने के कारणों की जांच कर रिपोर्ट दें, लेकिन किसी ने रिपोर्ट नहीं दी। जिस पर एसडीएम ने नाराजगी जताते हुए दोनों विभागों के अधिकारियों को कार्यालय तलब किया है। एसडीएम ने बताया कि गंगा व नहर में मछलियों की मौत का क्या कारण है। इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।