डलमऊ: पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन का सवाल बहस का मुद्दा बना हुआ है कारण इसके चलते आज समूची दुनिया का अस्तित्व खतरे में है। पर्यावरणविद् इस बारे में समय-समय पर चेता रहे हैं और वैज्ञानिकों के शोध-अध्ययनों ने इस तथ्य को साबित कर दिया है। इसी क्रम में डलमऊ के खड़ेश्वरी आश्रम के साधु ने अपनी ईजाद की हुई कागज की कलम प्रधानमंत्री को भेजी है। साधु की मंशा है कि प्रधानमंत्री इस कलम से पर्यावरण की तकदीर लिखें, जिससे आने वाले कल में देश को प्लास्टिक से मुक्ति मिल सके। शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित डलमऊ खडेश्वरी आश्रम साधु और उनके सहयोगियों के व्यवहार से प्रकृति और पर्यावरण की पूजा का केंद्र बन गया है। महंत कृष्णा बिहारी बीते करीब दो वर्षों से प्लास्टिक मुक्त देश का सपना संजोकर निस्वार्थ होकर कागज के पेन बना रहे हैं।
कुंभ में बांट चुके हैं पांच लाख पेन
उनका मानना है कि प्लास्टिक पेन का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, ऐसे में कागज की कलम को लोग अपनाएं तो पर्यावरण को कुछ हद तक राहत मिल सकती है। सरकार गठन के बाद डलमऊ खडेश्वरी आश्रम के साधु ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरियर से कागज की कलम भेजी है। कुंभ में स्टाल लगाकर बांट चुके हैं पांच लाख पेन साधु कृष्णा बिहारी ने कुंभ में पांच लाख कागज की कलम बांटी थी।
दो रुपये की लागत
इस पेन को बनाने के लिए रद्दी कागज, धागा, रिफिल, लेई (गोंद) का प्रयोग होता है। अभी इसमें कैप (ढक्कन) नहीं बना है। महंत के मुताबिक एक कलम को बनाने में करीब दो रुपये की लागत आती है। साधु का कहना है कि यह कलम प्लास्टिक की कलम की तुलना में काफी सस्ती है। सरकार चाहे तो इसका वृहद पैमाने पर निर्माण कराकर प्लास्टिक का इस्तेमाल कम कर सकती है।