16 जुलाई की रात्रि को पड़ने वाला चंद्रग्रहण एशिया, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण-अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। भारत में यह चंद्रग्रहण 16 व 17 जुलाई की मध्य रात्रि को 1 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक देश के सभी हिस्सों में दिखाई देगा। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लंबी अवधि तक दिखाई देने वाला यह चंद्रग्रहण भारत सहित पाकिस्तान, मध्य-एशिया और दक्षिण-अमेरिका के लिए विशेष रूप से अशुभ साबित हो सकता है। ग्रहण के समय चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हो कर धनु और मकर दोनों राशियों को प्रभावित करेंगे। अग्नि तत्व की राशि धनु के अंतिम अंशों से शुरू होकर यह चंद्र ग्रहण मकर राशि के शुरुआती अंशों को पीड़ित करता हुआ बेहद तीव्र रूप से फल देने वाला होगा।
चंद्रग्रहण के समय वृषभ लग्न उदय हो रहा होगा, जो कि आजाद भारत की कुंडली का जन्म लग्न है। लग्न से अष्टम भाव में चंद्रमा ग्रहण के समय शनि और केतु से युत होंगे। मिथुन राशि में चल रहे सूर्य और शुक्र की चंद्रमा पर दृष्टि पड़ेगी। आचार्य वराहमिहिर के अनुसार, धनु राशि में पड़ने वाला ग्रहण मंत्रियों, प्रधान पुरुषों, प्रधान अमात्यों, चिकित्सकों, व्यापारियों, हथियार रखने वालों तथा पंजाब क्षेत्र के लोगों के लिए बेहद कष्टकारी होता है। ग्रहण के प्रभाव से भारत में बड़े नेताओं की आकस्मिक मृत्यु और राजनीतिक उठापठक से अस्थिरता का माहौल बनेगा। ग्रहण के समय मंगल का कर्क राशि में होकर तीसरे घर को पीड़ित करना भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ने का संकेत हैं।
गृह मंत्रालय की कश्मीर नीति जम्मू-कश्मीर राज्य में किसी उग्र विरोध-प्रदर्शन का कारण बन सकती है। इसके अतिरिक्त ग्रहण के समय गुरु और मंगल का जलीय राशियों में होना अगले 15 दिनों में भारत के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा दिखा रहा है। 17 जुलाई की रात्रि से ही तेज वर्षा के चलते उत्तर और मध्य भारत में कई शहरों में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित होगा। लेकिन किसानों के लिए यह ग्रहण शुभ होगा। जुलाई के दूसरे पखवाड़े और फिर अगस्त के पहले हफ्ते में मंगल का कर्क राशि में गोचर वर्षा में वृद्धि कर सूखे से संघर्ष कर रहे किसानों को बड़ी राहत देगा।