National Bureau, The Freedom News: 14 अप्रैल से कोरोना की वजह से जारी लॉक डाउन समाप्त होने वाला था लेकिन देश में कोरोना के पॉजिटिव मामले बढ़ने की वजह से इसकी डेट आगे बढ़ा दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन की डेट बढ़ाकर अब 3 मई कर दिया है। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही लोगों से सात वचन भी लिए हैं जिसे सप्तपदी कहा जा रहा है। मोदी ने जनता से जो सात वचन मांगे हैं उनमें कोरोना और रोजगार से संबंधित वचन शामिल हैं। जबकि हिंदू धर्म में सप्तपदी वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के वचन होते हैं।
सप्तपदी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व रखता है क्योंकि विवाह संस्कार में इसी सप्तपदी के वचनों के साथ स्त्री पुरुष हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो जाते हैं। देखा जाए तो हिंदू धर्म में विवाह संस्कार का यह आधार है। इसमें पति-पत्नी विवाह के समय सात वचनों से साथ अग्नि के सात फेरे लेते हैं। यानी अग्नि को साक्षी मानकर वैवाहिक जीवन की मर्यादा को बनाए रखने के लिए एक दूसरे को वचन देते हैं। आइए जानें हिंदू धर्म में सप्तपदी का क्या महत्व है और इसके सात वचन क्या हैं।
पहले वचन में कन्या, वर से कहती है (भावार्थ)- आप जब भी कभी तीर्थ स्थान पर आओ तो मुझे साथ लेकर जाना। धर्म-कर्म के कार्यों में मुझे अपने वाम भाग में स्थान देना। यदि आप इस बात को स्वीकार करते हैं, तब ही मैं आपकी वामांगी बनना स्वीकार करती हूं।
कन्या, वर से दूसरा वचन लेती है (भावार्थ)- जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का आदर करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का आदर करें। कुटुंब की मर्यादा का ध्यान रखते हुए धर्मानुसार आचरण करते रहना स्वीकार करते हैं, तब मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
विवाह का तीसरा वचन लेते हुए कन्या कहती है (भावार्थ)- जीवन की हर अवस्था और उम्र अर्थात युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में आप मेरा साथ निभाएंगे, तब मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
वामांगी अर्थात पत्नी बनने से पूर्व फेरों के दौरान कन्या चौथा वचन लेती है (भावार्थ)- अब तक आप गृहस्थी की चिंता से पूर्णत: मुक्त थे, अब आप विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं। ऐसे में परिवार के पालन का पूरा दायित्व आपके कंधों पर होगा। यदि इस भार को वहन करने का प्रण आप लेते हैं तो मैं आपकी वामांगी बनने को तैयार हूं।
परिवार को सुखी बनाए रखने के लिए कन्या अपने होनेवाले वर से वचन लेती है (भावार्थ)- जो भी धन आप कमाएंगे, उस पर आपके साथ ही परिवार का भी अधिकार होगा। अत: घर के कार्यों में, किसी से लेन-देन में और अन्य किसी भी काम में व्यय करते समय आप मेरी भी सहमति लेंगे तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
अपने छठे वचन में कन्या, वर से वचन लेती है (भावार्थ)- यदि मैं अपनी सखियों के बीच या दूसरी महिलाओं के बीच बैठी हूं, तब आप किसी भी कारण से वहां मुझे अपमानित अनुभव नहीं कराएंगे। यदि आप जुआ, सट्टा, मदिरा जैसे दुर्व्यसनों से दूर रहने का वचन देते हैं तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनना स्वीकार करती हूं।
अपने सातवें और अंतिम वचन के रूप में कन्या, भावी वर से कहती है (भावार्थ)- आप पराई स्त्रियों को माता के समान आदर सत्कार देंगे। हमारे आपसी विवाद में कभी किसी अन्य को भागीदार नहीं बनाएंगे। यदि आप यह वचन मुझे देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।