National Bureau, TFN: WHO ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर एक बार फिर दुनिया को चेताया है। उसका कहना है कि कोविड-19 से बचने के लिए इससे संक्रमित मरीजों और अन्य मामलों का पता लगा लेना और इलाज करा लेना ही काफी नहीं है, क्योंकि यह ठीक हुए शख्स को दोबारा संक्रमित कर सकता है। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने भविष्य में ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ जारी किए जाने के विचार को भी खारिज किया है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को जारी किए गए अपने एक बयान में यह बातें में कही हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह बात ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ जारी करने के सुझाव के बाद कही है। असल में कुछ देशों की सरकारों ने सुझाव दिया है कि जिन लोगों में कोरोना के खिलाफ अच्छी प्रतिरोधक क्षमता या एंटीबॉडी पाई गई है, उन्हें ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ जारी किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने 24 अप्रैल के अपने इस बयान में यह भी कहा है कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद इलाज दिए जाने पर ठीक हुए हैं और उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी मौजूद हैं, उन्हें दूसरी बार संक्रमण नहीं हो सकता है।
कुछ सरकारों ने सुझाव दिया था कि कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी वाले लोगों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ या जोखिम मुक्त प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। ऐसा इसलिए ताकि वह सभी अपने काम पर लौट सकें और इससे जुड़ी जरूरी यात्राएं कर सकें। बयान के अनुसार, ऐसा माना जा रहा है कि इन लोगों के दोबारा संक्रमित होने का खतरा काफी कम होगा।
संस्था ने बयान में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस तरह का प्रमाण पत्र जारी करने पर लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मार्गदर्शन या दिशा—निर्देशों का उल्लंघन या अनदेखी कर सकते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस समय कई देशों में कोरोना के खिलाफ जंग के लिए एंटीबॉडी को लेकर टेस्ट, अध्ययन आदि किए जा रहे हैं। इससे यह जानने की कोशिश की जा रही है कि संक्रमण से ठीक होने के बाद इस वायरस से लड़ने के लिए लेाग किस हद तक प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर पाते हैं।